BJP सांसदों ने कुछ ऐसा किया कि तिलमिला गया चीन

नई दिल्ली
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग-वेन के शपथ-ग्रहण समारोह में बीजेपी के दो सांसदों के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत से चीन को मिर्ची लग गई है। उसने भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है। बुधवार को ताइवान की राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह था। दिल्ली से बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी और राजस्थान के चुरू से सांसद राहुल कासवान ने इसमें तकनीक के जरिए शिरकत की थी और उन्हें दूसरे कार्यकाल की बधाई दी थी।

समारोह में शामिल हुईं 41 देशों की 92 हस्तियां
ताइवान की राष्ट्रपति के शपथ समारोह में 41 देशों की 92 हस्तियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिरकत की थी। इनमें भारत से दो सांसदों के अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ भी शामिल थे।

चीनी राजनयिक ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई
सांसदों के ताइवान के कार्यक्रम में शामिल होने से चीन को ऐसी मिर्ची लगी की उसने लिखित ऐतराज जताया है। नई दिल्ली में चीनी दूतावास की काउंसलर (पार्लियामेंट) लिउ बिंग ने लिखित ऐतराज जताते हुए भारत से अपने 'आंतरिक' मामलों में दखल से बचने को कहा है। अपनी शिकायत में चीनी राजनयिक ने कहा है कि साइ को बधाई संदेश देना 'बिल्कुल गलत' है।

ताइवानी राष्ट्रपति को बधाई संदेश से चिढ़ा चीन
चीनी राजनयिक ने कहा, 'एक चीन सिद्धांत यूएन चार्टर और उसके कई प्रस्तावों में मान्य है और यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आम तौर पर एक मानक है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर मोटे तौर पर सर्वसम्मति है।' ताइवान के चीन के साथ तनाव और विश्व स्वास्थ्य संगठन में उसके फिर से शामिल होने के दावों को भारत के समर्थन के मद्देनजर पेइचिंग का यह ऐतराज काफी अहम है।

चीन खुद तो अपनी हरकतों से नहीं नहीं आ रहा बाज
चीन खुद लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में टेंट लगा रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव संबंधी भारत के विशुद्ध आंतरिक मामले पर भी चीन ने गैरजरूरी टिप्पणियां की थी। लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले से भी चीन चिढ़ा हुआ है। भारत के ऐतराज के बावजूद पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में वह आर्थिक गलियारा बना रहा है। भारत के आंतरिक मामलों में दखल की कोशिश करने वाला चीन उल्टे नई दिल्ली को उपदेश दे रहा है।

मैंने जो कुछ भी किया वह भारत के स्टैंड के अनुरूप: कासवान
दूसरी तरफ, बीजेपी सांसद कासवान ने ताइवान के कार्यक्रम में शामिल होने का बचाव किया है। उन्होंने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह भारत के निरंतर रुख के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि चीन ने तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा है। कासवान ने कहा, 'मैंने ताइवान की राष्ट्रपति को बधाई संदेश भेजा जो मुझे लगता है कि इस विषय पर भारत के स्टैंड का उल्लंघन नहीं है।' दो देशों के बीच का मामला बताते हुए उन्होंने इस मुद्दे पर और ज्यादा टिप्पणी से इनकार किया।

ताइवान सरकार को अलगाववादी बता रहा चीन
भारत सरकार तो ताइवानी राष्ट्रपति के शपथ समारोह में आधिकारिक तौर पर शामिल भी नहीं हुई थी लेकिन सिर्फ दो सांसदों की मौजूदगी से चीन को मिर्ची लग गई और उसने उसी दिन ऐतराज दर्ज कराया। हालांकि चीन ने अपनी शिकायत में दोनों सांसदों का नाम नहीं लिया। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश उम्मीद करता है कि हर कोई 'ताइवान की आजादी के लिए चलाई जा रहीं अलगाववादी गतिविधियों' का चीन के लोगों द्वारा विरोध का समर्थन करेगा और राष्ट्रीय एकीकरण को समझेगा।

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