BJP के 40 साल, अटल से मोदी तक क्या बदला

अपने 40 साल के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता हासिल करने के साथ-साथ अन्य लक्ष्य भी पूरे किए हैं। मसलन राम मंदिर का विवाद थम चुका है, जन संघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी का 'एक देश-एक निशान-एक विधान-एक प्रधान' का सपना जम्मू कश्मीर से 370 हटाकर पूरा किया जा चुका है।

जनसंघ से शुरुआत, मिली सिर्फ 3 सीट
भारतीय जनता पार्टी भले 1980 में बनी। लेकिन इसकी विचारधारा का जन्म 1951 में ही हो चुका था। जब कांग्रेस नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अलग होकर भारतीय जनसंघ बनाया था। हालांकि, उस दौर में कांग्रेस ही भारतीय राजनीति का चेहरा थी और 1952 के लोकसभा चुनाव में बीजेएस को सिर्फ 3 सीटें मिलीं।

जनता पार्टी बनाई
साल 1975, देश में आपातकाल लगाया गया। इस दौरान जनसंघ के लोगों ने खुलकर कांग्रेस का विरोध किया। फिर आपतकाल खत्म होने पर सनसंघ और ऐसी कई दूसरी छोटी पार्टियों ने मिलकर जनता पार्टी बना ली। अब 1977 में लोकसभा चुनाव हुए। कांग्रेस के लिए लोगों में गुस्सा था जो चुनाव में दिखा भी। इसका फायदा जनता पार्टी को मिला, सरकार बन गई। मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया। हालांकि, तीन साल में ही देसाई को हटना पड़ा और फिर जनसंघ के लोगों ने ही बीजेपी बनाई।

अटल-आडवाणी का युग, मंदिर था मुद्दा
उस दौर में पार्टी अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के अध्यक्ष थे। शुरुआत में पार्टी का हिंदुत्व पर रुख नरम था। पार्टी गांधी के विचारों की बात करती थी। फिर 1984 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ दो सीट मिलीं। फिर पार्टी ने हिंदुत्व, राम जन्मभूमि को अपना अजेंडा बना लिया। 1989 में पार्टी ने 85 तो 1991 में राम मंदिर आंदोलन की लहर में 120 सीटें जीतने में सफल रही थी। बीजेपी को 1996 में 161 और 1998 में 182 सीटें मिलीं। अब 40 साल बाद राम मंदिर का अजेंडा पूरा हो चुका है। जन संघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर से 370 हटाने की बात करते थे। अब की सरकार ने वह भी कर दिया है।

मोदी-शाह का युग, मुद्दे भी बदले
फिलहाल नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के नेतृत्व में पार्टी आगे बढ़ रही है। बीजेपी ने 2014 में 282 सीटों के साथ अपने दम पर सरकार बनाई तो 2019 में और दमदार जीत मिली। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले 303 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता हासिल की है। इन 40 सालों में पार्टी ने अपने मुद्दे शिफ्ट किए हैं। राम मंदिर के बाद अब NRC, CAA पर जोर है। यानी पार्टी अब भी हिंदुत्व, राष्ट्रवाद की बात करती है लेकिन मुद्दे और तरीके बदल गए हैं।

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