हरियाली तीज 2019: ऐसे मनाएं पर्व और शुभ मुहूर्त में करें पूजन

 
हरियाली तीज सुहागिन महिलाओं के प्रसिद्ध व्रत और त्योहारों में से एक है। विशेषतौर पर इस पर्व को उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 3 अगस्‍त यानी आज है। इस पर्व की तैयारी महिलाएं दो-तीन दिन पहले से शुरू कर देती हैं। खासतौर पर सौभाग्य और श्रृंगार को समर्पित इस पर्व पर महिलाएं और बच्चियां हाथ-पैरों में मेहंदी और आल्ता या महावर लगाती हैं।  

कब है तीज 2019?
हरियाली तीज का पर्व हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल हरियाली तीज 3 अगस्त, शनिवार को है। श्रावण (सावन) मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित महीना है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती कैलाश पर्वत को छोड़कर पृथ्वी पर निवास करते हैं। शिव भोले पार्वती माता के साथ अपनी ससुराल आए हुए होते हैं।

पूजा मुहूर्त
इस बार हरियाली तीज पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 31 मिनट से रात 10 बजकर 21 मिनट तक बन रहा है। इस दौरान मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। भजन-कीर्तन किया जाता है।

रस्म और रिवाज
-हरियाली तीज का व्रत और पूजन शांत मन से किया जाता है। भगवान शिव का परिवार सहित पूजन किया जाता है। प्रभु से अखंड सौभाग्य और संतानप्राप्ति और समृद्धि की कामना की जाती है।

– हरियाली तीज के अवसर पर शादीशुदा महिलाओं के मायके से उनके लिए सिंजारा आता है। इसमें मिठाई और श्रृंगार का सामान होता है, जिसमें मेहंदी, चूड़िया, बिंदी इत्यादि होता है।

– वहीं, ससुराल में सासू मां अपनी बहुओं को नई साड़ी, कपड़े और श्रृंगार का सामान और दिलाती हैं। इसमें सुहाग का सामान, मेहंदी और आल्ता प्रमुख होता है।

– तीज के अवसर पर महिलाएं हाथों में मेहंदी और पैरों में आल्ता या महावर लगाती हैं। नए कपड़े पहनकर 16 श्रृंगार करती हैं। सुबह से ही घर में पूड़ी और पकवान बनते हैं। इनसे तीज माता का पूजन किया जाता है और पूजा किया गया खाना मंदिर में चढ़ाने के साथ ही सासू मां को दिया जाता है।

-इस पूजा के दौरान बहू सास-ससुर के लिए कपड़े या दूसरे उपहार भी पूजती है और खाने की थाड़ी के साथ उन्हें यह पुजापा सौंपती है। भोजन के बाद सास कभी भी बहू को वह थाली खाली नहीं देती है। इसमें कुछ पैसे या फल रखकर बहू को दिया जाता है।

– दिनभर महिलाएं एक-दूसरे से तीज मिलन के लिए जाती हैं और पास-पड़ोस में रहनेवाली बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेती हैं। शाम के समय महिलाएं एक साथ झूला झूलती हैं और तीज तथा सावन के गीत गाती हैं।

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