6 गज में 3 मंजिल का मकान दिल्ली का सबसे छोटा घर!

 नई दिल्ली 
'जी, करीब ढाई साल से रह रहे हैं। आज के वक्त में 3500 रुपये महीना किराया देते हैं। अब आदत हो गई है। कोई परेशानी नहीं होती। हां, पहले लगता था कि कितने तंग घर में रहते हैं, लेकिन अब अच्छा लग रहा है कि दिल्ली के मशहूर घर में रहते हैं, जिसके बारे में लोग जानना चाहते हैं।' ये कहना है दिल्ली के सबसे छोटे घर में रह रहीं पिंकी का। छोटा मतलब कितना/ 20, 15, 10 गज नहीं, महज 6 गज का आशियाना। घर नहीं अजूबाघर कहिए। इतनी जगह में तो लोग चाय का खोखा चलाते हैं, मगर बुराड़ी इलाके के संत नगर में 4 लोगों की फैमिली रह रही है। 
 संत नगर की मेन मार्केट को पार करके 63 नंबर गली में पहुंचे, रास्ते में जिससे पूछा, उसने लेफ्ट-राइट करते हुए फटाफट पता बता दिया। मकान को देखकर कारीगर की तारीफ करें या फिर हैरान हों। सही देखें या गलत। जो भी हो। हकीकत ये है कि अपने 6 गज के वजूद से यह घर इलाके की पहचान बनता जा रहा है। घर में एंट्री करने के लिए दरवाज़ा खुलते ही सीढ़ियां आपको पहली मंज़िल पर ले जाती हैं। ग्राउंड फ्लोर पर सिर्फ बाथरूम है। सीढ़ियां चढ़ते ही बेडरूम में दाखिल हो जाते हैं। जहां सिंगल बेड है और साइड टेबल पर टीवी रखा है। छत वाला पंखा चल रहा है। फर्श पर अच्छा पत्थर लगा है। यहां भी एक छोटा सा बाथरूम है। बेडरूम से सीढ़ियां ऊपर चढ़ती हैं तो ऊपर किचन और लेटने बैठने की जगह है। इससे ऊपर की मंजिल पर फिर टॉइलट और बाथरूम है। सबसे ऊपर पानी की टंकी रखी है। देखा जाए तो पूरा घर सीढ़ियों पर टिका है, जिसमें एक तरफ ही पांच खिड़कियां खुली हैं। अंदर दम नहीं घुटता, बल्कि हवादार है। 

तिकोना बना है मकान 
पवन कुमार उर्फ सोनू ने ये मकान चार साल पहले खरीदा था। जो अरुण कुमार के नाम पर था। मकान तिकोना है। सोनू का दावा है कि ढाई फुट का छज्जा दो रास्तों पर निकला है। जिससे थोड़ी जगह बढ़ गई है। मकान अरुण कुमार ने खुद बनाया था, क्योंकि वो राजमिस्त्री हैं। मकान बेचकर वो अंडरग्राउंड हो गए। कहां हैं, किसी को नहीं पता। सोनू ही नहीं पड़ोस के लोगों ने भी आरोप लगाया कि अरुण कुमार पर लोगों का कर्जा हो गया था, क्योंकि वो ठेकदार थे। कर्जा चुकाना मुश्किल हो गया तो यहां से चले गए। 

मकान की कीमत अब 14 लाख 
सोनू ने बताया कि उनके पिता दिल्ली पुलिस में थे, लेकिन अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके मकान की कीमत 14 लाख रुपये लगाई जा चुकी है, लेकिन उन्होंने बेचा नहीं। और अब बेचना भी नहीं चाहते हैं, क्योंकि लोग उनके मकान को देखने आ रहे हैं। पिंकी के पति संजय किसी कंपनी में गाड़ी चलाकर अपना घर चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि मेहमान आते हैं तब ज़मीन पर बैठने का ही ऑप्शन बचता है। अब छह गज में इतना तो एडजस्ट करना होगा। 
 

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