लोगों को कभी वोट बैंक नहीं समझा इसलिए अमेठी में राहुल से जीती: स्मृति इरानी

 
अमेठी 

कांग्रेस के गढ़ अमेठी से राहुल गांधी को हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने रविवार को क्षेत्र के पूर्व सांसद पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि साल 2014 के चुनाव में हारने के बाद भी उन्हें अमेठी के लोगों ने तीन लाख से ज्यादा वोट दिया था। इससे उन्हें पता चला कि इलाके में कुछ तो दिक्कत है और लोगों को उनकी मदद की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि अमेठी में किस कारण से वह राहुल गांधी पर जीत दर्ज कर सकीं। स्मृति ने कहा कि उन्होंने कभी वहां के लोगों को वोट बैंक नहीं समझा और शायद यही जीत की वजह रही। 
 राहुल पर साधा निशाना 
स्मृति ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब लोगों के पास खाने को ना हो और बतौर नेता आप उनके कंधे पर खड़े होकर प्रधानमंत्री बन जाएं, मुझे इससे चैन नहीं पड़ता।' उन्होंने कहा कि 2014 में उन्होंने देखा कि संसदीय क्षेत्र के लोग खाने के लिए मिट्टी से अनाज के दाने चुन रहे थे। चुनाव में हार के बावजूद अमेठी से मिले तीन लाख से ज्यादा वोटों ने उन्हें समझाया कि इलाके में कुछ तो दिक्कत है। केंद्रीय मंत्री ने 'देवी अवार्ड' वितरण समारोह के दौरान ये बातें कहीं। 

अमेठी के लोगों को नहीं समझा वोट बैंकः इरानी 
इस दौरान इरानी से सवाल किया गया था कि पांच साल पहले साल 2014 में चुनाव हारने के बाद वह 2019 में कैसे जीत गईं। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय 2014 के चुनाव में मिले 3 लाख से ज्यादा वोटों को देते हुए ईरानी ने कहा कि 2014 में मुझे मिले वोट इसका संकेत थे कि लोगों को मदद की जरूरत है। मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। उन्होंने कहा, 'मैं वहां जीतने के लिए नहीं रुकी थी।' उन्होंने कहा कि मैं संभवत: इसलिए जीत गई क्योंकि पांच साल में कभी भी मैंने अमेठी के लोगों को अपना वोट बैंक नहीं समझा। मैं उनसे अपने साथी या परिवार के सदस्य के रूप में जुड़ी। 

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वह अमेठी के 25 लाख लोगों के सामने खड़ी चुनौतियों का हल खोजना चाहती हैं। इरानी ने कहा कि वह ऐसी ही राजनीति करती हैं। 2019 में अमेठी से टिकट मिलने की कोई गारंटी नहीं होने के बावजूद वह पांच साल तक वहां रुकीं और लोगों के साथ मिलकर काम करती रहीं क्योंकि वह ऐसी ही राजनीति में विश्वास करती हैं। 
 

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