30 IAS और 37 IPS अफसर का ट्रांसफर कर कमलनाथ सरकार ने खेला ये दांव

भोपाल 
एमपी की कमलनाथ सरकार ने एक रात में 30 आईएएस और 37 आईपीएस अफसरों का तबादला कर साफ़तौर पर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि सरकार में दस का दम है और कोई ये न समझे की सरकार चलेगी नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद यह बात शिद्दत से उठी थी कि केंद्र में भाजपा के शक्तिशाली हो जाने से अब एमपी में कमलनाथ सरकार कभी भी गिरा दी जाएगी, जिससे कहीं न कहीं प्रशासनिक स्तर पर भी संशय का माहौल बना था.

कमलनाथ सरकार के शनिवार रात निकले आदेश में 13 जिलों के पुलिस कप्तानों पर गाज गिरी है. सरकार ने कुल 37 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया. वहीं 15 से अधिक ज़िलों के कलेक्टर सहित 30 आईएएस अफसर बदल दिए गए. बीती रात कमलनाथ सरकार ने जो सर्जरी की उसमें उसने पूरे प्रदेश के हर हिस्से को छुआ ताकि मैसेज प्रॉपर जाए. इस सर्जरी में नीमच कलेक्टर राजीव रंजन मीणा का तबादला हुआ जो डायरेक्ट आईएएस थे और नीमच उनकी पहली पदस्थापना थी. सरकार ने मात्र 5 महीने में उन्हें हटा दिया और उनकी जगह अजय गंगवार को कलेक्टर बनाया गया, जिन्हें शिवराज सरकार ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के पक्ष में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने के लिए हटाया था. वहीं मंदसौर एसपी विवेक अग्रवाल को भी हटाया गया, जिन्हें आए अभी तीन माह भी नहीं हुए थे और उनकी जगह कालापीपल से कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी के भाई आईपीएस हितेश चौधरी को एसपी मंदसौर बना दिया गया. ऐसे चुन चुनकर सरकार ने अफसरों को मैदानी पोस्टिंग से चलता किया और अपनी मर्जी के अफसरों को बिठाया और यह ऐलान कर दिया कि सरकार कांग्रेस के हुक्म से और कांग्रेस के हिसाब से चलेगी.

लोकसभा चुनाव के दौरान जब कभी मौका आया भाजपा के नेता यह कहने से नहीं चूके कि केंद्र में बहुमत आने पर एमपी में कमलनाथ की सरकार को गिरा देंगे और एक बार फिर एमपी में भाजपा सत्ता संभालेगी. ऐसे तमाम बयान भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई नेताओं ने दिए थे. नीमच आए राजस्थान के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने तो सिंगोली की आम सभा में यह तक कहा था कि केंद्र में भाजपा के काबिज होते ही एमपी में कमलनाथ सरकार नहीं रहेगी और भाजपा फिर सरकार में आएगी और शिवराज सिंह चौहान सीएम बनेंगे और यह बात शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में कही गई. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तो यह कहा था कि कमलनाथ एक्सीडेंटल सीएम हैं. हमें सरकार गिराने की ज़रूरत नहीं सरकार खुद ब खुद गिर जाएगी.

ऐसे तमाम बयानों के मद्देनज़र ज्योंही लोकसभा चुनाव के नतीजे आए और केंद्र में भाजपा के सत्ता संभालते ही राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में यह संशय पैदा हुआ कि अब कमलनाथ सरकार कैलेंडर पर दिन गिन रही है. इस दौरान हॉर्स ट्रेडिंग की खबरें भी खूब चलीं. इसी बीच मंदसौर जिले के एकमात्र कांग्रेस विधायक हरदीप डंग के भाजपा में जाने की खबर भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई. और तो और सुवासरा  विधायक हरदीप डंग का शिवराज सिंह चौहान के साथ का एक पुराना फोटो यह कहकर वायरल किया गया कि डंग शिवराज से मिले. बाद में इन खबरों का खंडन भी हुआ.

लेकिन इन तमाम घटनाओं से सरकार अस्थिर हो गई और जनचर्चा होने लगी कि सरकार गई. इस माहौल में प्रशासनिक कसावट भी ढीली पड़ने लगी, जिसका आभास कांग्रेस को बखूबी हो गया. ऐसे में सरकार ने एक ही रात में बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अफसरों का ट्रांसफर कर के यह जता दिया कि सरकार पूरे पांच साल चलेगी और पूरी ताकत से चलेगी, कोई किसी गलतफहमी में न रहे.

इस मामले में जब भाजपा के प्रदेश महासचिव बंशीलाल गुर्जर से बात की गई तब उनका कहना था सरकार अफसरों के ट्रांसफर करके खुद का कॉन्फिडेंस नहीं दिखा रही बल्कि अफसरों में भय का माहौल बना रही है. सरकार तो सरकार होती है, उन्हें कुछ दिखाने की आवश्यकता कहां है. प्रदेश महासचिव गुर्जर ने कहा कि कमलनाथ अफसरों को हटाने की जगह उनमें विश्वास पैदा कर काम करने का माहौल बनाएं.

इस मामले में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री और कांग्रेस के फ्रंट लाइन के नेता राजीव सिंह का कहना था कि बीजेपी यह बताए कि क्या उनके समय में ट्रांसफर नहीं होते थे. बीजेपी सरकार में इससे ज़्यादा तबादले हुआ करते थे. वे यह भी बोले कि यह सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है कि कौन अफसर रहे और कौन हटे. यह एक व्यवस्था है. इस व्यवस्था में जो उपयुक्त लगेगा उसको जिम्मेदारी दी जाएगी, जो उपयुक्त नहीं होगा उसे हटाया जाएगा. अभी और अफसर बदले जाएंगे.

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