2020 में NDA को राज्यसभा में मिल सकता है बहुमत, यह है पूरा गणित

नई दिल्ली 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में सत्तधारी एनडीए गठबंधन अगले साल राज्यसभा में भी बहुमत पा सकता है, बशर्ते कि कुछ छोटी क्षेत्रीय पार्टियां उसके साथ आ जाएं। एक स्वतंत्र रिसर्च फर्म के प्रॉजेक्शन में यह बात उभर कर आई है। चुनाव के दौरान बीजेपी ने पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने जैसे वादे किए हैं। ऐसे में विवादित मसलों से जुड़े विधेयकों को संसद से पास कराने के लिए दोनों ही सदनों में प्रभावशाली उपस्थिति अनिवार्य है। 

भारतीय संसद के कामकाज पर नजर रखने वाली फर्म पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च का प्रेडिक्शन दिखाता है कि अगले साल राज्यसभा में अकेले बीजेपी की 83 सीटें हो जाएंगी, जो अभी से 10 ज्यादा है। इसके अलावा, बीजेपी की अगुआई में एनडीए की कुल 107 सीटें हो जाएंगी, जो अभी से 7 ज्यादा हैं। इस तरह 243 सदस्यीय राज्यसभा में एनडीए अगले साल बहुमत से सिर्फ 15 सीटें दूर रहेगा। 

राज्यसभा के सबसे ज्यादा सदस्य राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्यों को केंद्र सरकार नामित करती है। इनमें से सभी का कार्यकाल 6 साल को होता है और राज्यसभा के 2 तिहाई सदस्य हर दूसरे वर्ष रिटायर हो जाते हैं। 

अगले साल राज्यसभा में एनडीए सदस्यों की संख्या यूपी जैसे राज्यों से बढ़ेगी, जहां बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनावों में जबरदस्त जीत हासिल की थी। पीआरएस का प्रॉजेक्शन दिखाता है कि बहुमत के लिए 122 सीटों का आंकड़ा छूने के लिए एनडीए को पूर्वी और दक्षिण भारत के छोटे क्षेत्रीय दलों के समर्थन की दरकार होगी। इनमें से कुछ प्रमुख पार्टियां अतीत में एनडीए का समर्थन कर चुकी हैं। 

पीएम मोदी और बीजेपी का प्रचंड बहुमत के साथ पहले ही लोकसभा पर जबरदस्त नियंत्रण है। बीजेपी ने पिछले महीने संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करते हुए 2014 के चुनावों के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में भी सुधार किया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कई विधेयकों को विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में लटका दिया था, क्योंकि वहां उनकी पकड़ मजबूत थी। 

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा कहते हैं, 'राज्यसभा में एनडीए को बहुमत नहीं होने की वजह से पहले कार्यकाल में कई काम अधूरे हैं और हमें उम्मीद है कि आगे इनमें से कुछ विधेयक पास हो जाएंगे और कानून की शक्ल ले लेंगे।' 

सरकार के विधायी अजेंडे में तीन तलाक बिल भी शामिल है, जो मुस्लिम पुरुषों को तत्काल तलाक पर रोक लगाएगा। इसके अलावा श्रम नियंत्रण में बदलाव और भूमि अधिग्रहण के नियमों में बदलाव समेत कुछ अहम आर्थिक सुधार भी सरकार के अजेंडे में हैं। भारतीय उद्योग जगत इन आर्थिक सुधारों की लंबे वक्त से मांग कर रहा है। 

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि पार्टी दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत जुटाने की कोशिश में हैं। इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को दशकों से मिले विशेषाधिकारों पर रोक लगाने जैसे संवैधानिक संशोधनों को पास कराया जा सकेगा। पीएम मोदी ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को गृह मंत्री बनाकर यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि पार्टी अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 A जैसे अपने अजेंडे पर दृढ़ता से बढ़ेगी। 

इस तरह के कदम का जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी तीखा विरोध कर सकते हैं क्योंकि उनका तर्क है कि इससे भारत के दूसरे हिस्सों से तमाम हिंदू राज्य में आ जाएंगे और सूबे का डिमॉग्रफी और धार्मिक व क्षेत्रीय संतुलन बदल जाएंगे। 

बीजेपी ने अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो में समान नागरिक संहिता लागू करने के अपने इरादे का भी जिक्र किया है, जो सभी भारतीयों पर लागू होगा। समान नागरिक संहिता लागू हुआ तो विवाद, तलाक और उत्तराधिकार जैसे पारिवारिक मसलों पर प्रमुख धार्मिक समुदायों के अलग-अलग पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे। 

दूसरी तरफ, मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 2020 तक राज्यसभा में 12 सीटों का नुकसान होने वाला है, जिससे उसके सदस्यों की संख्या घटकर 38 रह जाएगी। लोकसभा में कांग्रेस की सिर्फ 52 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के रेकॉर्ड 303 सदस्य हैं। इस वजह से निचले सदन में कांग्रेस किसी विधेयक की राह में अड़ंगा डालने में नाकाम रहेगी। 

आइए टेबल के जरिए देखते हैं कि अगले साल राज्यसभा में एनडीए और उसके संभावित सहयोगियों की सीटों में किस तरह का बदलाव दिखेगा। 

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