2014 के लोकसभा चुनाव में भी नक्सलियों ने किए थे खूनी हमले, 25 जवान हुए थे शहीद

दंतेवाड़ा 
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव से ऐन पहले नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले में एक बड़ी घटना को अंजाम दिया है. नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के कुआकोण्डा थाना क्षेत्र के श्यामगिरी में आईईडी ब्लास्ट कर किया है. इस ब्लास्ट में सुरक्षा बल के जवानों को बड़ा नुकसान होने की सूचना है. इस घटना में बीजेपी से दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी भी मारे गए हैं. पीएसओ समेत चार अन्य जवानों के मारे जाने की सूचना है.

महज दो दिन बाद लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग होनी है. इस घटना ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान हुए नक्सली हमलों की याद दिला दी है. 11 मार्च 2014 को नक्सलियों ने 15 जवानों को अपना निशाना बनाया था. इस हमले में एक ग्रामीण की भी मौत हो गई थी. उस दिन सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के 44 जवान सर्चिंग पर निकले थे. 15 जवान आगे चल रहे थे. घात लगाए बैठे करीब 250 नक्सलियों ने उन्हीं को निशाना बनाकर आईईडी ब्लास्ट कर दिया और उसके बाद उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू की, जिसमें 15 जवान शहीद हो गए और राह चलता एक ग्रामीण भी नक्सलियों की गोली का शिकार हो गया था.

इस हमले के बाद नक्सलियों ने एक जवान के शव के नीचे आईईडी रख दिया था, ताकि शव को जब जवान उठाएं तो वह ब्लास्ट हो जाए और कुछ और जवान मारे जाएं. लेकिन, बम निरोधक दस्ते ने आईईडी डी-एक्टिवेट कर दिया और उसके बाद जवान के शव वहां से निकाला गया.

ठीक एक महीने बाद 12 अप्रैल को बीजापुर और दरभा घाटी में आईईडी ब्लास्ट में पांच जवानों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी. नक्सलियों ने पहला हमला करीब 11 बजे बीजापुर जिले के केतुलनार गांव के पास किया था. उन्होंने मतदान कर्मियों को ले जा रही बस को बारूदी विस्फोट से उड़ा दिया था. फिर गोलीबारी की. इसमें सात मतदानकर्मियों की मौत हो गई थी. बस के पीछे चल रहे पुलिसकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की, लेकिन नक्सली जंगल में जा छिपे. बस्तर लोकसभा क्षेत्र के बीजापुर जिले में 10 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. वोटिंग के बाद मतदानकर्मी लौट रहे थे. हमले में 75 से 100 नक्सली शामिल थे.

दूसरा हमला ठीक एक घंटे बाद बीजापुर से 100 किलोमीटर दूर जगदलपुर जिले की दरभा घाटी में हुआ था. नक्सलियों ने कामनार के करीब एक एंबुलेंस को विस्फोट से उड़ा दिया. एंबुलेंस में सवार सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे, साथ ही एंबुलेंस के चालक और उसमें सवार कंपाउंडर की भी मौत हो गई थी. नक्सलियों द्वारा एंबुलेंस को निशाना बनाने का यह पहला मामला था.

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