1.1 लाख भारतीय छात्र गए ऑस्ट्रेलिया, जबर्दस्त ऑफर

नई दिल्ली
ऑस्ट्रेलिया पढ़ने जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले साल भारी बढ़ोतरी हुई है। साल 2018 के दौरान ऑस्ट्रेलिया के शैक्षिक संस्थानों में एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया है। भारतीय छात्रों के कुल अंतरराष्ट्रीय दाखिले का यह 12.4 फीसदी है। पिछले साल के मुकाबले इस साल दाखिलों में 25 फीसदी इजाफा हुआ है। चीन में सबसे ज्यादा 2.6 लाख या कुल 29 फीसदी दाखिले हुए हैं।

कारण
ऑस्ट्रेलिया ने 'अडिशनल टेंपररी ग्रैजुएट' वीजा की घोषणा की थी। इसमें किसी रजिस्टर्ड यूनिवर्सिटी के क्षेत्रीय कैंपस से ग्रैजुएशन करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाई के बाद ऑस्ट्रेलिया में एक साल अतिरिक्त काम का अधिकार मिलता है। मौजूदा समय में जो नियम है उसके मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में बैचलर या मास्टर डिग्री तक की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पढ़ाई के बाद 2 सालों तक काम के लिए वीजा मिलता है। लेकिन नए नियम में अब उनको तीन साल मिलेंगे।'

20 मार्च को जारी एक अलग रिलीज में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक नई स्कॉलरशिप स्कीम की घोषणा थी। यह स्कीम ऑस्ट्रेलिया के अन्य क्षेत्रों में पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए थी। हर साल स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय छात्रों को करीब 15,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 7 लाख रुपये) मिलेंगे।

ऑस्ट्रेलिया ने एक तीर से दो शिकार किए
छात्रों को पढ़ाई के बाद एक साल ज्यादा काम करने का वीजा देकर ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने एक तीर से दो शिकार किए हैं। इससे सिडनी, मेलबर्न, पर्थ, ब्रिसबेन और गोल्ड कोस्ट के इलाकों से भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी। चूंकि ये ज्यादा लोकप्रिय इलाके हैं, इसलिए ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय छात्रों और काम करने वालों का रुख ये शहर ही होते हैं जिससे यहां आबादी ज्यादा बढ़ जाती है। नए वीजा में क्षेत्रीय संस्थानों में पढ़ने का प्रावधान है। इससे छात्रों को ऑस्ट्रेलिया के लोकप्रिय इलाकों से हटकर अन्य क्षेत्रों में रहना होगा जिससे मुख्य शहरों में भीड़ काफी कम होगी।

ऑस्ट्रेलिया को दूसरा फायदा यह है कि ज्यादा से ज्यादा छात्र वहां पढ़ने के लिए पहुंचेंगे। चूंकि छात्रों को पढ़ाई के बाद एक साल ज्यादा रहने का मौका मिलेगा, इससे उनके लिए सुविधाजनक स्थिति होगी।

छात्रों के लिए कितनी सुविधाजनक है स्कीम?
ऑस्ट्रेलिया में जॉब और एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों ने छात्रों को एक साल अतिरिक्त मिलने पर खुशी का इजहार किया है। पर्थ में होम ऑफ वीजाज नाम की इमिग्रेशन सर्विस कंपनी की मैनेजिंग डायरेक्टर जाहिरा इस्माईल ने बताया, 'ग्रैजुएट्स को एक साल अतिरिक्त देने से यह पता चलता है कि पॉलिसी मेकर्स छात्रों की परेशानी को समझ रहे हैं। ज्यादातर जॉब में कम से कम तीन साल का अनुभव मांगा जाता है जबकि वीजा के मौजूदा नियम के मुताबिक यहां छात्रों को पढ़ाई के बाद 2 साल का ही वीजा मिलता है।' उन्होंने अंतरराष्ट्रीय छात्रों को हर क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं तलाश करने का भी सुझाव दिया।

कई छात्र मेजबान देश में लम्बे समय तक ठहरने और काम करने के इच्छुक होते हैं। इस संबंध में ईजीमाइग्रेट कंसल्टेंसी सर्विसेज के डायरेक्टर साइरस मिस्त्री ने हमारे सहयोगी अखबार टीओआई को बताया, 'नया क्षेत्रीय वीजा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए आकर्षक होगा। इसमें तीन साल के बाद परमानेंट रेजिडेंसी लेने का विकल्प है। जो छात्र पढ़ाई के बाद वहां बसना चाहते हैं, उनके लिए यह काफी आकर्षिक विकल्प होगा।'

 

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