होलिका भी थी प्रेम दीवानी, गजब है इनकी प्रेम कहानी
नई दिल्ली
होली का पर्व आते ही जेहन में किस्से-कहानियों में दर्ज होलिका का नाम आता है या यह कहना गलत नहीं होगा कि इस पर्व की शुरुआत ही होलिका के चलते मानी जाती है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होलिका अपने भाई के डर से भतीजे प्रह्लााद को लेकर अग्नि में नहीं बैठी थीं। बल्कि अपने प्रेम की खातिर उसने यह कुर्बानी दी थी। आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी?
होलिका राक्षस कुल के महराज हिरण्यकश्यप की बहन थीं। उन्हें वरदान में एक ऐसा दुशाला प्राप्त था। जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती थी। इसी वजह से हिरण्यकश्यप ने उन्हें प्रहलाद यानी कि होलिका के भतीजे को लेकर हवन कुंड में बैठने का आदेश दिया। भाई के इस आदेश का पालन करने के लिए वह प्रहलाद को लेकर अग्नि कुंड में बैठ गईं। इसके बाद हवा इतनी तेज चली कि दुशाला होलिका के शरीर से उड़कर भक्त प्रहलाद पर गिर गया। इससे प्रहलाद तो बच गया लेकिन होलिका भस्म हो गईं।
प्रचलित कथा से अलहदा हिमाचल प्रदेश में एक और कहानी कही जाती है। इसके मुताबिक यह इलोजी- होलिका की प्रेम कहानी है। ऐसी कहानी जहां प्रेमिका के रूप में होलिका की विरह-वेदना को दर्शाया गया है। इसके मुताबिक होलिका एक ऐसी प्रेमिका है जिसने अपने प्रेम को बचाने के लिए स्वंय की बलि दे दी। हालांकि उनके प्रेमी इलोजी भी इसी प्रेम में पागल हो गए।
हिमालच प्रदेश में गूंजती होलिका और इलोजी की प्रेम कथा कुछ इस तरह है कि कामरूप का प्रतिरूप कहे जाने वाले इलोजी उनसे अथाह प्रेम करते थे। वह राक्षस कुल के राजा हिरण्यकश्प के पड़ोसी राज्य के राजकुमार थे। होलिका भी उन्हें चाहती थीं। दोनों की जोड़ी इतनी उम्दा थी कि लोग उनकी बलाएं लेते थे। दोनों का विवाह भी तय हो गया था। लेकिन उनकी किस्मत में शायद एक होना लिखा ही नहीं था।