हॉन्ग कॉन्ग की संसद में घुस आए प्रदर्शनकारी, जमकर मचाया हंगामा

हॉन्ग कॉन्ग
हॉन्ग कॉन्ग में प्रर्त्यपण बिल पर शुरू हुए प्रदर्शन पर नियंत्रण मुश्किल हो गया है। प्रदर्शनकारी 1997 में चीन में हॉन्ग कॉन्ग की वापसी की सालगिरह के रोज सोमवार को आपे से बाहर हो गए और संसद भवन घुस गए। वहां जमकर हंगामा किया। उन्होंने संसद में मौजूद तस्वीरें फाड़ दीं और दीवारों पर नारे लिखे। उधर, दंगा रोधक पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए मिर्च स्प्रे और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया, लेकिन पुलिस नाकाम रही। इस घटना ने चीन के सामने सीधी चुनौती पेश कर दी है।

ब्रिटिश उपनिवेश काल के दौरान फाइनैंशल जिला रहे हॉन्ग कॉन्ग के लेजिस्लेटिव काउंसिल के करीब हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए । उनके हाथों में 'फ्री हॉन्ग कॉन्ग' का बैनर था। वे संसद परिसर में घुसने के लिए कई घंटों तक मशक्कत करते रहे और फिर उसके अंदर घुसकर हंगामा किया। कुछ तो जनप्रतिनिधियों के डेस्क पर बैठे भी नजर आए।

सरकार ने लोगों से तत्काल इस हिंसा को खत्म करने की अपील की है। सरकार का कहना है कि उन्होंने प्रर्त्यपण संशोधन बिल पर काम करना बंद कर दिया है और यह कानून अगले जुलाई तक अपने-आप खत्म हो जाएगा। हालांकि, सरकार की अपील पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।

प्रदर्शनकारियों में अधिकांश स्टूडेंट्स थे जिन्होंने पीले रंग की हैट और मास्क लगा रखी थी और तोड़-फोड़ मचाने के लिए हाथ में सामान ले रखा था। उधर, लेजिस्लेटिव काउंसिल सेक्रटेरिएट ने बयान जारी कर मंगलवार की कार्रवाई रद्द कर दी है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा कारणों से यह फैसला लिया गया है।

उल्लेखनीय है कि हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए हॉन्ग कॉन्ग की नेता कैरी लैम ने 15 जून को इस बिल को निलंबित कर दिया था।
चीन समर्थित लैम अपने काम पर तब भी बनी हुई हैं जब सरकार को अप्रत्याशित विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो कि 2012 में चीन में सत्ता में आए शी चिनफिंग के सामने सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रहा है।

पिछले 30 सालों से हॉन्ग कॉन्ग में रह रहे ब्रिटिश वकील स्टीव ने कहा, 'इतने प्रदर्शन के बाद भी सरकार सुन नहीं रही है जो कि चिंता की बात है। जनता की इच्छा का सम्मान न होना मेरे लिए परेशान करने वाला है। अगर यह बिल नहीं हटाया जाता है, मेरे पास अपने घर को छोड़कर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।'

क्या है प्रर्त्यपण बिल
प्रर्त्यपण संशोधन बिल के मुताबिक, किसी मामले में सुनवाई के लिए लोगों को चीन भेज दिया जाएगा। जहां कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण वाली अदालतों में सुनवाई होगी। लोग इसी का विरोध कर रहे हैं। लोगों के मन में डर है कि इससे हॉन्ग कॉन्ग का कानून खतरे में पड़ जाएगा।

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