हाई ब्लड प्रेशर की दवा छोड़ना ले सकता है जान

अक्सर हाई ब्लड प्रेशर (बीपी) के पेशंट बीच में ही दवा लेना छोड़ देते हैं, लेकिन ऐसा करना काफी खतरनाक होता है। एक हाल का ही उदाहरण है 45 वर्षीय विशाल (बदला हुआ नाम) का है, जिसे बेहोशी की हालत में अस्पताल लाया गया। उसके शरीर का दाहिना हिस्सा काम नहीं कर रहा था। उसकी मेडिकल हिस्ट्री ने संकेत दिया कि उसे पिछले 7 साल से हाई ब्लड प्रेशर था, लेकिन कुछ समय बाद ही उसने दवा लेना बंद कर दिया था।

विशाल ने दवा ली, तो कुछ समय बाद हाई बीपी कंट्रोल में आ गया और उसने दवा छोड़ दी। एक दिन अचानक सिरदर्द शुरू हो गया, जिसके बाद वह बेहोश हो गया। सीटी स्कैन से संकेत मिला कि विशाल को ब्रेन हेमरेज हुआ है और शरीर का दाहिना हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। फिलहाल उसका इलाज चल रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीच में दवा छोड़ना किसी के लिए भी कितना खतरनाक हो सकता है।

इस बारे में मैक्स अस्पताल के ट्रांस रेडियल इंटरवेंशनल प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. राजीव राठी का कहना है कि हाई बीपी एक साइलेंट किलर है और एक ऐसी स्थिति है जो समय के साथ हार्ट, ब्रेन, किडनी व आंखों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकता है। उनका कहना है कि देश में करीबन 2.6 लाख लोग हाई बीपी के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। यह देश की सबसे पुरानी बीमारी बन गई है। हाई बीपी और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के मैनेजमेंट और रोकथाम के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना बेहद महत्वपूर्ण है।

यह कहती है स्टडी
डॉ. राठी के मुताबिक हाइपरटेंशन को ऐसे ब्लड प्रेशर के रूप में परिभाषित किया जाता है जो 140/90 मिमी एचजी के स्तर से लगातार अधिक होता है। लक्षणों की कमी के कारण यह स्थिति वास्तविक शुरुआत के कुछ साल बाद ही पता चल पाती है। इसलिए एहतियाती उपाय जरूरी हैं। विशेषकर उन लोगों में जिनके परिवार में पहले भी किसी को यह परेशानी रह चुकी हो। हाल ही में 6,13,815 पेशंट्स पर हुई स्टडी से पता चला है कि एचजी सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में 10 मिमी की कमी लाने से भी हार्ट फेल्योर, ब्रेन हेमरेज, दिल का दौरा पड़ने और मौत की घटना में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। इस स्टडी ने बिना किसी संदेह के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के महत्व और आवश्यकता को साबित किया है।

यह भी है एक आंकड़ा
उनक कहना है कि हाई बीपी से गुजर रहे 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय अपनी स्थिति से अंजान हैं। हैरानी की बात तो यह है कि प्रत्येक सात मरीजों में से केवल 13 प्रतिशत मरीज यानी की एक या एक से भी कम मरीज हाई बीपी को कम करने की दवा खाते हैं। इसके साथ ही 10 में से केवल एक व्यक्ति ही ऐसा है जो हाई बीपी पर कंट्रोल रख पाता है। हाई बीपी के मरीजों में केवल 13 प्रतिशत ही मरीज ऐसे होते हैं जो डॉक्टर के बताए अनुसार दवाई लेते हैं। ऐसे में जरूरत है कि लोगों को जागरूक किया जाए कि यदि वह हाई बीपी की दवा नहीं खाते और इसका इलाज नहीं करते तो यह शरीर के अन्य अंगों को भी परिभाषित कर सकता है।

ऐसे कंट्रोल कर सकते हैं हाई ब्लड प्रेशर
– अपनी हाइट के हिसाब से अपना सही वजन बनाए रखें।
– रोजाना फिजिकल ऐक्टिविटी करें।
– फल और हरी सब्जियां खाएं।
– सोडियम का सेवन प्रति दिन 5 ग्राम से कम करें और फलों व सब्जियों से पोटेशियम प्राप्त करें।
– स्ट्रेस को कम करने के लिए योग का सहारा लें।
– अपने ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से मॉनिटर करें और इसे कंट्रोल में रखने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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