हाई कोर्ट का आदेश सहायक अध्यापक भर्ती की काउंसलिंग में शामिल हो सकेंगे मौजूदा शिक्षक

प्रयागराज

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी की बहुप्रतीक्षित सहायक अध्यापक भर्ती मामले में एक नया आदेश जारी किया है. जानकारी के मुताबिक हाई कोर्ट में एक याचिका उन शिक्षकों द्वारा लगायी गयी थी जो पहले से ही किसी जिले में कार्यरत हैं और अब दूसरे जिले में काउंसलिंग के लिए आवेदन कर रहे हैं.

69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल शिक्षकों की उसी याचिका पर हाई कोर्ट ने उन्हें काउंसलिंग में शामिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने अपने निर्देशों में फिलहाल ऐसे अभ्यर्थियों का चयन परिणाम घोषित करने का निर्देश तो दे दिया है. लेकिन साथ ही साथ अभी उनका नियुक्ति पत्र न जारी करने का आदेश भी दिया है.

कोर्ट ने कहा है कि इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी. कोर्ट ने याचिका पर प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह याचिका अनिल मिश्र और 61 अन्य की ओर से दाखिल की गई है.

ये सभी याचिकाकर्ता पहले से ही प्रदेश के किसी अन्य जिले में इसी पद पर कार्यरत हैं. और अब दूसरे जिले से काउंसलिंग के लिए आवेदन किया है. इन सभी को काउंसलिंग की प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की एकल पीठ ने दिया है.

इलाहाबाद HC ने योगी सरकार के कदमों की सराहना की

इलाहाबाद हाई कोर्ट से कोरोना को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. कोर्ट ने कोविड को लेकर प्रदेश सरकार के कदमों की सराहना की है. कोर्ट ने सिस्टमेटिक टेस्टिंग के लिए सरकार को सुझाव भी दिया है. कोर्ट ने कहा कि लोग कोरोना संक्रमण के भय में रह रहे हैं. कोर्ट ने अमल पर राज्य सरकार से ब्लू प्रिंट तैयार कर 25 जून को पेश करने का निर्देश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि मास्क और सैनिटाइजर के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराना जरूरी है. कोर्ट ने अस्पतालों और क्वारनटीन सेंटरों की हालत सुधारने की मांग वाली एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं. 25 जून को इस मामले की अगली सुनवाई होगी. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने सरकार को ब्लू प्रिंट पेश करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने सरकार से पूछा- प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना जांच की इजाजत क्यों नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट में नोएडा में एक गर्भवती महिला की एंबुलेंस में मौत के मामले से जुड़ी याचिका पर भी सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा कि प्राइवेट अस्पतालों को कोरोना जांच की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है. कोर्ट ने पूछा कि ट्रू नाट मशीनें लगाकर कम खर्च में निजी अस्पतालों की जांच में परेशानी क्या है. कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते की मोहलत दी है.

तीन जुलाई को इस मामले की अगली सुनवाई होगी. याचिका में प्राइवेट और सरकारी अस्पताल में ओपीडी खोले जाने की मांग की गई है. हाई कोर्ट में यह याचिका विशाल तलवार, विनायक मिश्रा और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की ओर से लगाई गई है. जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस यशवंत वर्मा की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की.

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