स्विस बैंकों में काला धन रखने वालों पर कसा शिकंजा, 11 भारतीयों को नोटिस

 
नई दिल्ली  
       
मोदी सरकार के एक बार फिर सत्ता में वापसी के साथ ही स्विट्जरलैंड ने भी अपने यहां बैंकों में पैसा रखने वाले भारतीयों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. स्विट्जरलैंड ने ऐसे भारतीयों के संबंध में सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है. ब्लैक मनी जमा करने के लिए सबसे सुरक्षित जगह माने जाने वाले स्विटजरलैंड ने पिछले सप्ताह ही करीब एक दर्जन भारतीयों को इस संबंध में नोटिस थमाया है.

स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक स्विस बैंकों के भारतीय ग्राहकों को कम से कम 25 नोटिस जारी कर भारत सरकार के साथ उनकी जानकारी साझा करने के खिलाफ अपील का एक आखिरी मौका दिया गया है.

स्विटजरलैंड के फेडरेल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी किए गए नोटिसों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि स्विस सरकार ने ऐसे खाताधारकों का नाम कई देशों के साथ साझा करने की प्रक्रिया को पिछले कुछ दिनों में तेज कर दिया है. खासकर अगर भारत की बात करें तो ऐसे मामलों में पिछले कुछ सप्ताह में तेजी देखी गई है. भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेशों में कालाधन जमा करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर रखा है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने गजट के द्वारा जारी सार्वजनिक की गयी जानकारियों में स्विस बैंकों में खाताधारकों का पूरा नाम न बताकर सिर्फ नाम के शुरुआती अक्षर बताए गए हैं. इसके अलावा उपभोक्ता की राष्ट्रीयता और जन्म तिथि का जिक्र किया गया है. गजट के अनुसार, सिर्फ 21 मई को 11 भारतीयों को नोटिस जारी किये गये हैं.

स्विस अधिकारियों ने जिन दो भारतीयों का पूरा नाम लिखा है उनके नाम हैं मई 1949 में पैदा हुए कृष्ण भगवान रामचंद और सितंबर 1972 में पैदा हुए कल्पेश हर्षद किनारीवाला शामिल हैं. हालांकि, इनके बारे में अन्य जानकारियों का खुलासा नहीं किया गया है.

अन्य नामों में जिनके शुरुआती अक्षर बताये गये हैं उनमें 24 नवंबर 1944 को पैदा हुईं मिसेज एएसबीके,  नौ जुलाई 1944 को पैदा हुए मिस्टर एबीकेआई, दो नवंबर 1983 को पैदा हुईं श्रीमती पीएएस,  22 नवंबर 1973 को पैदा हुईं श्रीमती आरएएस, 27 नवंबर 1944 को पैदा हुए एपीएस, 14 अगस्त 1949 को पैदा हुईं श्रीमती एडीएस, 20 मई 1935 को पैदा हुए एमएलए, 21 फरवरी 1968 को पैदा हुए मिस्टर एनएमए और 27 जून 1973 को पैदा हुए मिस्टर एमएमए शामिल हैं. ये नाम कौन है इस पर अब भारत में बेहद जिज्ञासा पैदा हो रही है.

इन नोटिसों में कहा गया है कि संबंधित ग्राहक या उनका कोई प्राधिकृत प्रतिनिधि आवश्यक दस्तावेजों के साथ 30 दिनों के भीतर अपील करने के लिये उपस्थित हों और ये बताए कि उसके खाते से जुड़ी जानकारी भारत सरकार को क्यों न बताई जाए.

बता दें कि स्विटजरलैंड अपने बैंकों में खाते रखने वाले ग्राहकों की गोपनीयता बनाये रखने को लेकर जाना जाता रहा है. लेकिन कर चोरी के मामले में वैश्विक स्तर पर समझौते के बाद गोपनीयता की यह दीवार अब सुरक्षित नहीं रह गई है. खाताधारकों की सूचनाओं को साझा करने को लेकर भारत सरकार के साथ उसने समझौता किया है. अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौते किए गए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इनमें दिए गए कई नाम एचएसबीसी की लीक लिस्ट और पनामा पेपर्स की लिस्ट में हैं. इसके बारे में भारत की एजेंसियां जांच कर रही है. 

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