स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिनों के कठिन परिश्रम से कांकेर जिला डेंगू मुक्त जिला होने की ओर अग्रसर 

रायपुर
स्वास्थ्य कार्यकर्ता और मितानिनों के कडी मेहनत और  विभाग की सतर्कता के चलते कांकेर जिला डेंगू रोग से मुक्त होने जा रहे हैं। यह तब सफल हो रहा है जब कार्यकर्ता और मितानिन बहनें डोर टू डोर मलेरिया, डेंगू जांच सहित घर-घर में टेमीफॉस-50 प्रतिशत का उपयोग किया जा रहा है। विदित है कि डेंगू वायरस से होने वाला रोग हैै। यह संक्रमित मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इस रोग में तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, जी मिचलाना, उल्टी-दस्त और त्वचा पर लाल दाने हो जाते हैं। यहां तक कि इलाज में देरी की वजह से कई बार व्यक्ति की जान भी जा सकती है। ऐसे में इस जानलेवा बीमारी से निपटने के लिए कांकेर जिले में डोर टू डोर सर्वे कर टेमीफॉस का उपयोग कर डेंगू जैसे खतरनाक बीमारी से बचाव के सफल प्रयास होता नजर आ रहा है। 

जिला मलेरिया अधिकारी डीके रामटेके ने बताया कि वैसे तो जिले में पिछले कई वर्षो से डेंगू के कोई प्रकरण नहीं पाए गए हैं। वर्ष 2018 में डेंगू के 04 सकारात्मक प्रकरण पाए गए। जिनका मेडिकल कॉलेज जगदलपुर एवं मेडिकल कॉलेज रायपुर में डेंगू NS1 Elisa Postive जॉच किया गया। जिले में जितने भी सकारात्मक प्रकरण पाए गए सभी कांकेर के ही निवासी है, किन्तु यह सभी डेंगू के मरीज किसी न किसी कारणवश दूसरे जिले में निवासरत होने के कारण प्रभावित हुए। जिले में एण्टोमोलाजिकल सर्वे के अनुसार जिले के कुछ क्षेत्रों में डेंगू रोग के वाहक एडीज एजीप्टाई एवं एडीज एल्बोपीटस पाए गए है, परन्तु वे डेंगू के संक्रमित मच्छर नहीं है। 

अधिकारियों ने बताया कि प्रतिवर्ष जिले के समस्त ग्रामों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं मितानिनों के द्वारा मच्छर के वयस्क अवस्था में पहुंचने से पहले ही प्रारंभिक जीवन काल में मच्छर लार्वा के स्त्रोतों को नष्ट करने तथा वेक्टर जनित रोगों के बेहतर नियंत्रण एवं वाहक प्रसरण को रोकने के लिए टेमीफॉस 50 प्रतिशत का उपयोग किया जाता है। टेमीफॉस का उपयोग विशेषकर शहरी क्षेत्रों के लिये जहां कुलर एवं वाटर टैंको की कई महीनों तक सफाई नहीं होती है। स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ता एवं मितानिनों के द्वारा डोर टू डोर सर्वे कर टेमीफॉस 50 प्रतिशत का उपयोग किया जा रहा है। इससे डेंगू के लार्वा को नष्ट किया जाता है, साथ ही डेंगू के रोकथाम एवं नियंत्रण के लिये घर-घर जाकर सोर्स रिडेक्शन किया जाता है। डेंगू का लार्वा प्राप्त होने पर उस घर को चिन्हांकित कर टैमीफॉस, मिट्टी का तेल या जला हुआ मोबिल ऑयल डलवाया जाता है। इसी प्रकार हरवर्ष जिले के सभी विकासखण्डों में दो से अधिक वार्षिक परजीवी ग्रस्तता वाले उप स्वास्थ्य केन्द्रों के अंतर्गत आने वाले ग्रामों के घरों में मलेरिया रोधी कीटनाशक दवा अल्फासायफर मेथ्रिन से छिड़काव किया जाता है। इस छिड़काव से घर के अंदर के वयस्क मच्छर नष्ट हो जाता है। इसके अलावा एक वार्षिक परजीवी ग्रस्तता से अधिक वाले उप स्वास्थ्य केन्द्रों के अंतर्गत आने वाले ग्रामों में दीर्ध कालिक वाहक रोधी दवा लेपित मच्छरदानी का वितरण भी किया गया है। 

अधिकारियों ने बताया कि प्रतिवर्ष 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस एवं माह जुलाई को डेंगू माह जुलाई के रूप में मनाया जाता है, इस अवधि में ग्राम स्तर, विकासखण्ड स्तर एवं जिला स्तर पर लोगों में जागरूकता लाने हेतु रैली का आयोजन किया जाता है। बैनर, पोस्टर एवं पाम्पलेट के द्वारा डेंगू रोग के बचाव के लिये प्रचार-प्रसार किया जाता है। जिले के समस्त ग्रामों में साप्ताहिक हाट-बाजारों में डेंगू रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिये माईकिंग करवाया जाता है। विकासखण्डों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा जिला चिकित्सालय में डेंगू जांच के लिए कीट भी उपलब्ध कराया गया है। किसी भी व्यक्ति को बुखार आने पर एवं डेंगू रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत कीट से जॉच कर उपचार किया जाता है एवं  म्सपें जॉच हेतु सिरम मेडिकल कॉलेज जगदलपुर भेजा जाता है। इस प्रकार कांकेर जिला में मलेरिया प्रकरण में कमी आने के साथ-साथ डेंगू मुक्त जिला होने की ओर अग्रसर है। 

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