स्वदेशी प्रचारक राजीव दीक्षित की संदिग्ध मौत मामले में होगी जांच, 9 साल बाद खुलेगी फाइल

रायपुर
विदेशी उत्पादों के खिलाफ आंदोलन चलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले भारत स्वाभिमान आंदोलन के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजीव दीक्षित की संदिग्ध मौत मामले में नए सिरे से जांच होगी. जांच की फाइल मौत के नौ साल बाद खुलेगी. आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों की शिकायत के बाद पीएमओ ने छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस को इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

राजीव दीक्षित की मौत मामले की जांच करना पुलिस के लिए भी आसान नहीं है. क्योंकि मौत के बाद राजीव दीक्षित के शव का पोस्टमार्टम नहीं हो सका था. इस कारण से मौत का कारण संदेह के घेरे में है. वहीं जांच शुरू होने की सुगबुगाहट के बाद राजीव दीक्षित के परिजनों ने पुलिस के बजाए किसी आयोग से इसकी निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है. ताकि सच्चाई लोगों के सामने आ सके.

 

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