स्थानीय भाषाओं में फैक्ट-चेकिंग लेकर आएगा फेसबुक, पार्टनर्स के साथ बढ़ाया सहयोग

फेसबुक अपने प्लैटफॉर्म पर फेक न्यूज और झूठी जानकारी से निपटने के लिए कई भारतीय भाषाओं में फैक्ट चेकिंग की शुरुआत करने जा रहा है। इसके साथ ही फेसबुक फैक्ट-चेकर्स की संख्या भी 25 प्रतिशत बढ़ाने पर काम कर रहा है। फेसबुक लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्लेटफॉर्म पर झूठी जानकारी फैलने से रोकने के लिए पहले भी कई बड़े स्टेप्स ले चुका है। फेसबुक के लिए भारत की स्थानीय भाषाओं में फेक न्यूज और डेटा को चेक करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है।

भारत में 21 मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं और इस विविधता के चलते झूठी जानकारी को ट्रैक करना मुश्किल हो रहा था। नई भाषाओं में उर्दू और पंजाबी शामिल हैं। इससे पहले तमिल और गुजराती को भी फेसबुक ने फैक्टचेक प्रोग्राम में शामिल किया था। बता दें, फेक न्यूज और अफवाहों के वायरल होने की शिकायतों और ऐसे मामलों के चलते फेसबुक ने ब्रिटेन में इंडिपेंडेंट चैरिटी फुल फैक्ट के साथ पार्टनरशिप की है। इस पार्टनरशिप के बाद सोशल नेटवर्क फेक न्यूज और पोस्ट्स के खिलाफ फैक्ट-चेकिंग ऑपरेशन चला रहा है।

बता दें, पार्टनरशिप के तहत फेसबुक सोशल नेटवर्क पर आने वाले कंटेंट की पूरी ऐक्युरेसी फैक्ट-चेक और रिव्यू करता है। इन फैक्ट-चेकर्स की टीम फेसबुक पर वायरल होने वाली तस्वीरों, विडियोज और फैक्ट्स की जांच करेगी और सुनिश्चित करेगी कि उनमें से कुछ भी झूठ या अफवाह न हो। यूजर्स को भी जानकारी दी जाएगी कि उनकी पोस्ट फैक्ट-चेक में झूठ और अफवाह साबित हुई है।

हालांकि फेसबुक यूजर्स को इस कंटेंट को शेयर करने या पढ़ने से रोकने के सिस्टम पर फिलहाल काम नहीं कर रहा है। फेसबुक का न्यूजफीड अल्गोरिद्म भी फाल्स कंटेंट की रीच कम कर इसे फैलने से रोकता है। फैक्ट चेकिंग समय लेने वाला काम है और इसके लिए लगने वाली टीम फिलहाल अपने स्तर पर इसकी जांच करेगी। प्रोग्राम को मिली प्रतिक्रिया के आधार पर कंपनी की ओर से आगे कदम उठाए जाएंगे। इस प्रोग्राम को जनवरी में लॉन्च किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *