स्टेटिन लेने वाले लोगों में टाइप 2 डायबीटीज का खतरा दोगुना

हाल ही में एक स्टडी आयी जिसमें कहा गया कि वे महिलाएं जो प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापे की समस्या झेल रही होती हैं उनसे जन्म लेने वाले बच्चे में आगे चलकर टाइप-2 डायबीटीज होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। और अब एक अन्य स्टडी में दावा किया गया है कि स्टेटिन नाम की दवाई लेने वाले लोगों में टाइप 2 डायबीटीज होन का खतरा दोगुना होता है।

स्टेटिन दरअसल एक ऐसी दवाई है शरीर में कलेस्ट्रॉल का स्तर कम करती है। कलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहने से न तो हार्ट अटैक का खतरा होता है और न ही स्ट्रोक की संभावना होती है। लेकिन इस दवाई से टाइप 2 डायबीटीज का खतरा दोगुना हो जाता है। अमेरिका में 40 से 59 साल के करीब 83 फीसदी लोग कलेस्ट्रॉल कम करने के लिए स्टेटिन का सेवन करते हैं।

डायबीटीज मेटाबॉलिजम रिसर्च ऐंड रिव्यूज में प्रकाशित इस स्टडी में स्टेटिन टाइप 2 डायबीटीज को बढ़ावा दे सकते हैं। इस स्टडी को कोलंबस स्थित ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की ग्रैजुएट स्कॉलर विक्टोरिया जिगमॉन्ट और उनकी टीम ने 4,683 ऐसे पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया जो स्टडी की शुरुआत के वक्त डायबीटीज के शिकार नहीं थे लेकिन उनमें हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा था। शामिल लोगों में से 755 लोग स्टडी की शुरुआत के वक्त स्टेटिन का सेवन कर रहे थे। इस स्टडी की शुरुआत 2011 में हुयी और 2014 तक चली।

इस स्टडी और स्टेटिन के सेवन को लेकर विक्टोरिया ने कहा, 'स्टेटिन हार्ट अटैक और स्ट्रोक को रोकने में मददगार हैं। मैं यह कभी इस चीज की सिफारिश नहीं करूंगी कि इस स्टडी के आधार पर लोग डॉक्टर द्वारा दिए गए स्टेटिन को लेना बंद कर दें। लेकिन इस स्टडी के बाद अब डायबीटीज की रोकथाम और स्टेटिन के सेवन पर और बात होनी चाहिए। इसे लेकर और जागरूकता फैलानी चाहिए।'

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