स्टडी: दिल्ली से इटावा तक यमुना सबसे प्रदूषित, पानी पीने लायक नहीं

 
नई दिल्ली 

यमुना नदी का सबसे प्रदूषित हिस्सा दिल्ली से उत्तर-प्रदेश के इटावा तक है। यमुना पर हुई नई स्टडी में यह बात सामने आई है। इस स्टडी के लिए यमुना के 12 जगहों से लिए गए पानी के सैंपलों की जांच की गई। यह स्टडी आईआईटी और एलेक्सेंड्रा यूनिवर्सिटी इजिप्ट ने मिलकर की है। इसे एनवायरमेंट मॉनिटरिंग असेसमेंट जनरल में पब्लिश भी किया गया है। 
 
रिपोर्ट में पोनटा (हिमाचल प्रदेश) से प्रतापपुर (यूपी) के बीच 12 जगहों से पानी लिया गया। इनमें पोंटा (हिमाचल प्रदेश), कलानौर (हरियाणा), मावी (यूपी), पल्ला (दिल्ली), मोहना (यूपी), मथुरा (यूपी), आगरा (यूपी), इटावा (यूपी) जैसी जगह शामिल हैं। यह सैंपल लगातार दो साल 2014 और 2015 में लिए गए और वैज्ञानिकों ने उसकी रिपोर्ट तैयार की। इसी रिपोर्ट के आधार पर अब यह दावा किया गया है कि दिल्ली से इटावा के बीच यमुना सबसे अधिक प्रदूषित है। इन सैंपलों को कई मापदंडों पर परखा गया। जिसमें तापमान, पीएच, डिजॉल्वड ऑक्सीजन, बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड, टोटल डिजॉल्वड सॉलिड आदि शामिल हैं। इस जांच के रिजल्ट के बाद इन बिंदुओं पर पानी को इंडियन वॉटर क्वॉलिटी स्टैंटर्ड पर रखा गया। 

चार ग्रुप में बांटा गया है यमुना को 
रिपोर्ट के मुताबिक पानी की गुणवत्ता के आधार पर यमुना नदी को चार ग्रुप में बांटा गया है। जिसमें पहला ग्रुप पोनटा, कलानौर, मावी और पल्ला है। इस जगह का पानी पीने के लिए भी उपयुक्त है और खेती और जलीय जीवन के लिए भी। दूसरे ग्रुप में दिल्ली, मोहाना और मथुरा शामिल है। इस हिस्से में कुछ ड्रेन से ऑर्गेनिक लोड काफी अधिक नदी में मिल रहा है इसलिए इस हिस्से का पानी न तो पीने के और न ही नहाने के लायक है लेकिन यह मछलियों के लिए कुछ हद तक ठीक है। 

स्टडी के तीसरे ग्रुप में आगरा से इटावा तक के हिस्से को शामिल किया गया है। इस हिस्से का पानी भी पीने लायक नहीं है लेकिन इसे ट्रीट कर पीने के लायक बनाया जा सकता है। इस हिस्से में यमुना के प्रदूषण की वजह घरों और खेती से निकलने वाला प्रदूषण है। जबकि चौथे हिस्से में औरेया, हमीरपुर और प्रतापपुर शामिल हैं। इस हिस्से में नदी अपने सबसे अच्छे रूप में है। यहां नदी के पानी को विभिन्न कामों के लिए प्रयोग किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हम इस स्टडी को आगे करना चाहते हैं ताकि पानी में मौजूद विभिन्न प्रदूषक तत्वों की जानकारी मिल सके। 

इस स्टडी में यह भी कहा गया है कि यमुना में प्रदूषित हिस्सों का सोर्स पता चला है। यदि उसपर अध्ययन और काम किया जाए तो काफी हद तक प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए प्रदूषण को नदी में जाने से रोकना होगा। स्टडी के मुताबिक यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली यमुना देश के सात हिस्सों से गुजरती है। यह नदी करीब लाखों लोगों को उनकी जरूरत के लिए पानी देती है। इसके बावजूद इसमें घरों, इंडस्ट्री और खेती से निकलने वाले प्रदूषण डाले जा रहे हैं। जिसकी वजह से इस नदी में प्रदूषण काफी अधिक बढ़ गया है। इस प्रदूषण की वजह से यमुना नदी का पूरा इकोसिस्टम बदल रहा है। 

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