राजिम माघी पुन्नी मेले में इस बार मुरुम की जगह बनी रेत की सड़क, लोग कर रहे है तारीफ

नवापारा-राजिम
 राजिम कुंभ कल्प से राजिम माघी पुन्नी मेला के रूप में इस वर्ष मेला आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष मेला क्षेत्र त्रिवेणी संगम की सूखी धरती पर मुरुम की जगह रेत की सडक़ बनाई गई है। इसे लेकर मेला आने वाले लोगों में भारी ख़ुशी देखी जा रही है। लोग भूपेश सरकार को इसके लिए बधाई दे रहे हैं।

रामचंद साहू ने कहा कि पिछली सरकार अपने कार्यकाल में हर वर्ष संगम की सूखी धरती पर मुरुम की सडक़ बनवाती थी, जिससे काफी दिक्कत होती थी। मुरुम की सडक़ में धूल उड़ती रहती थी। धूल न उड़े, यह सोचकर सडक़ में पानी डलवाया जाता था, जिससे कीचड़ हो जाता था। इसके अलावा मेला घूमते समय डर लगा रहता था कि कोई बाइक वाला हीरो गिरी में बाइक चलाते-चलाते टक्कर न मार दे। अब कोई डर या दिक्कत नहीं रह गई है।

बेनीराम यादव का कहना है कि कुंभ कल्प के लिए मुरुम का सडक़ बनवाते थे। जबकि इसकी कोई जरूरत ही नहीं थी क्योंकि रेत में चलने का आनंद ही अलग है। जब तक थककर कुछ देर आराम न कर लें, तब तक लगता ही नहीं कि मेला घूमा है। रेत में चलने से शरीर की कसरत भी हो जाती है। कई सालों के बाद अब मेला घूमने में मजा आ रहा है।

गोविन्द देवांगन ने कहा मुरुम की जगह रेत की सडक़ बनने से कई फायदे हुए हैं। महानदी को पुनर्जीवन की दिशा में प्रयास शुरू हुआ है। रेत में चलकर कष्ट सहते हुए भगवान के दर्शन का लाभ मिल रहा है। पूर्व सरकार का कुम्भ आयोजन गलत नहीं था, लेकिन कुम्भ के नाम पर लाखों रुपए बर्बाद कर बेकाम का जो मुरुम सडक़ बनाया जाता रहा, उसने कुम्भ आयोजन की गरिमा ही गिरा दी थीष भूपेश सरकार बधाई की पात्र है कि उसने मुरुम की जगह रेत की सडक़ बनवाई है।

दिव्यांग प्रियदर्शिनी साहू का कहना है कि वह हर साल मेला घूमने आती है। मुरुम की सडक़ पर चलने में आधा ध्यान इसी बात पर लगा रहता था कि कहीं कोई बाइक वाला आकर न ठोक दे। खुलकर मेला नहीं घूम पाती थी, लेकिन इस साल बेफिक्र होकर मेला घूम रही हूं।

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