स्कूल बस आॅपरेटरों की ठगी से रोकने में असमर्थ जिला प्रशासन, बस किराया का निर्धारण अधर में

भोपाल
राजधानी में स्कूल बस आॅपरेटरों और प्रबंधनों की मनमानी को लेकर विधानसभा तक में मामला उठा था। इसके बाद तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह के निर्देश पर तत्कालीन कलेक्टर निशांत वरवड़े ने स्कूल बस किराया निर्धारण समिति का गठन किया था, लेकिन यह समिति सिर्फ कागजों में अपना काम कर रही है। 24 जून से राजधानी के कई स्कूल अवकाश के बाद फिर से शुरू होने वाले हैं। ऐसे में बेचारे अभिभावक स्कूल प्रबंधनों और स्कूल बस आॅपरेटरों की मनमानी फिर से सहेंगे। शहर में 2500 से अधिक स्कूल बसें संचालित हो रही हैं, जो रोजाना सवा लाख से अधिक स्कूली बच्चों को आवागमन कराती है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार पिछले साल तत्कालीन एडीएम दिशा नागवंशी की अध्यक्षता में इस मामले में काफी काम हुआ था, लेकिन राजधानी के बिल्लाबॉग स्कूल, डीपीएस स्कूल, आईपीएस स्कूल सहित दो स्कूलों में स्कूल बस किराया को लेकर शिकायतें आने के बाद मामला शांत कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि स्कूलों में तीन महीने का एडवांस किराया पहले ही जमा करा लिया जाता है। चूंकि इन स्कूलों में नेताओं और अफसरों के बच्चे पढ़ते हैं। इस कारण इन स्कूलों के दबाव में जिला प्रशासन स्कूल बस किराया का निर्धारण नहीं कर पा रहा है।

तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अभिभावकों की शिकायत पर 24 जून,2015 को प्रदेश के सभी कलेक्टर को निर्देशित किया था कि वे अपने जिले में जिला शिक्षा अधिकारी, आरटीओ, ट्रैफिक अधिकारी, स्कूल बस आॅपरेटर, पालक शिक्षक संघ के सदस्यों को लेकर एक जिला स्तरीय समिति बनाएं, जो स्कूल बस किराया का निर्धारण करें। एक महीने में यह समिति निर्णय लें। लेकिन भोपाल में चार साल बीतने को है, लेकिन प्रशासन द्वारा गठित समिति खाली हाथ बैठी है।

स्कूल एवं कॉलेज बस आॅनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नसीम परवेज ने बताया कि अब तक एसोसिएशन ने किसी भी स्कूल में संचालित होने वाली बसों के किराए में कोई इजाफा नहीं किया है। हम तो कलेक्टर के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। कलेक्टर जो भी किराया तय करेंगे, हम वहीं किराया बच्चों से लेंगे।

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