स्कूली शिक्षा के बुरे हाल, सैकड़ों स्कूलों में प्राचार्य के पद पड़े हैं खाली

भोपाल
प्रदेश के आधे से अधिक जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परियोजना समन्वयक के पद खाली पड़े हुए है। दूसरी तरफ मुख्यालय में बैठकर अधिकारी मजे मार रहे हैं। इतना ही नहीं सत्तर फीसदी हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्राचार्य नहीं है। प्राचार्य भी लोक शिक्षण, राज्य शिक्षा केंद्र व माध्यमिक शिक्षा मंडल में बैठकर पढ़ाना छोड़ बाबूगिरी कर रहे है। स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित शासकीय स्कूलों में हर साल बच्चों की संख्या कम हो रही है। बीते तीन साल से विभाग स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जतन कर रहा है। इस साल भी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अधिकारियों को साउथ कोरिया और दिल्ली के दौरे पर भेजा। दूसरी तरफ मैदानी स्तर पर हालात खराब है। प्रदेश के बीस से अधिक जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार हायर सेकेंडरी स्कूलों के प्राचार्य संभाल रहे है। जिला परियोजना समन्वयकों (डीपीसी) की प्रदेश में सबसे ज्यादा हालत खराब है। प्रदेश के आधे जिलों में डीपीसी के पद खाली पड़े हुए है। इनका प्रभार डीईओ के पास है। दूसरी तरफ प्रदेश में करीब 9 हजार शासकीय हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल है। इनमें सार फीसदी प्राचार्यों के पद खाली पड़े हुए है। जिन्हें शहरों में जगह मिल गई, वे तो स्कूलों में पदस्थ है। जिन्हें स्थानांतरण छोटे जिलों में किया गया, वे सभी सेटिंग कर लोक शिक्षण, राज्य शिक्षा केंद्र, माध्यमिक शिक्षा मंडल समेत अन्य जगहों पर जम गए। जिससे मैदानी स्तर पर स्कूलों में पढ़ाई का काम प्रभावित हो रहा है।

संचालनाय में दो दर्जन से अधिक प्राचार्य व व्याख्याता है। इनमें अर्चना शर्मा, रेखा श्रीवास्तव, पल्लवी मिश्रा, सच्चिानंद प्रसाद, नीरज सक्सेना, रविकांत जैन, सुमनकांत जैन, संध्या चौधरी, माधवी शुक्ला राजेश चौरसिया, विनीता खरे, शैलेष वर्मा, एमपी सिसोदिया, विजयश्री जायसवाल, आरके त्रिवेदी, सालेहा सिद्दकी, रेखा बाथम, हरेन्द्र सिंह, वंदना श्रीवास्तव, सुनील श्रीवास्तव संगीता सक्सेना, आरपी सिंह, इंदिरा सिटोके, डॉ. किरण खरे, रीना खत्री हैं।

राज्य शिक्षा केंद्र में सालों से प्राचार्य व व्याख्याता जमे हुए हैं। खास बात यह है कि यह प्राचार्य व व्याख्याता तीन साल से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। राज्य शिक्षा केंद्र में ही एससीईआरटी विंग से ईएलटीआई, तो प्रौढ़़ शिक्षा विंग से सर्व शिक्षा अभियान की विंग में चले जाते हैं। इससे स्कूलों में इन्हें पढ़ाना नहीं पड़ता। यहां जमे प्राचार्य व व्याख्याताओं में सुबोध सक्सेना, सुषमा वाजपेयी, प्रभा खत्री, मिनी शर्मा, ब्रजेश सक्सेना, बीबी गुप्ता, नीता गुप्ता, रमाकांत तिवारी, आशीष भारती, मंजू राजौरिया, विभूति श्रीवास्तव, अरुण भार्गव, अनुराधा यादव, श्रीमती बिजलानी, सीमा सक्सेना, साधना यादव, नेहा हर्षे, मनोज गुहा, अमित सक्सेना हैं।

हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य प्रदेश के करीब बीस जिलों में डीईओ का प्रभार संभाल रहे है। इसमें आगर मालवा में ओम प्रकाश सिंह तोमर, अशोक नगर में एएन मिश्रा, बालाघाट में आरके लटारे, बुरहानपुर में प्रेमनारायण पाराशर, छतरपुर में एसके शर्मा, देवास में चंद्रकांत सिंह केवट, डिन्डौरी में आरके मिश्रा, ग्वालियर में संजीव शर्मा, इंदौर में राजेंद्र कुमार मकवानी, खंडवा में केके डोंगरे, मंडला में अशोक झारिया, मंदसौर में आरएल कारपेंटर, रतलाम में अमर वरधानी, सागर में महेंद्र तिवारी, सीधी में नवल सिंह शामिल है। जबकि सहायक संचालक स्तर के भिंड में व्हीएस सिकरवार, सतना में टीपी सिंह, सिवनी में बीएस बघेल डीईओ के पद पर जमे हुए है। डीईओ के पद के लिए पात्रता उप संचालक स्तर के अधिकारी की है।

जिलों में हायर सेकंडरी स्कूलों के प्राचार्य को डीईओ का प्रभार दे रखा है, तो दूसरी तरफ प्रदेश के संभागीय संयुत संचालक कार्यालयों में दो-दो उपसंचालक पदस्थ है। यह सभी जिलों में डीईओ की पदस्थापना से बचने सेटिंग कर संभागीय मुख्यालयों में जमे हुए है।

माशिमं में सालों से जमे प्राचार्य

मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल में कुछ प्राचार्य दस सालों से अधिक समय से जमे हुए हैं। यहां सहायक शिक्षक भी बाबूगिरी में लगे हैं। इसमें प्रमुख रूप से नीरजा गौरे, हेमंत शर्मा, कमल किशोर बरबड़े, प्रमिला निगम, विंधेश मलैया, एमएल साहू, संघमित्रा अग्निहोत्री आदि शामिल हैं।

70 हजार ने किए ट्रांसफर के लिए आवेदन

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