सेना का फैसला, मुख्यालय से निकालकर मोर्चे पर भेजे जाएंगे कर्नल रैंक के अधिकारी

नई दिल्ली                
भारतीय सेना ने एक बड़ा फैसला लेते हुए आर्मी के अधिकारियों को हेडक्वार्टर से निकाल कर मोर्चे पर तैनात करने का निर्देश दिया है. फिलहाल मोर्चे पर तैनात अधिकारियों की संख्या बढ़ाकर दोगुना करने का फैसला लिया गया है. सूत्रों के मुताबिक कर्नल रैंक के 'जंग में सक्षम अधिकारियों' को आर्मी हेडक्वार्टर से निकालकर जंगी मोर्चे पर भेजा जाएगा. जंग में शामिल करने के लिए अधिकारियों की कमी है. कई पद भी खाली हैं. आर्मी के इस फैसले से तकरीबन 230 अधिकारी मोर्चे पर दुश्मनों से लोहा ले सकते हैं. अभी तक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि कुल अधिकारियों का 20 प्रतिशत हिस्सा आर्मी हेडक्वार्टर में तैनात है. रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'ऐसा महसूस किया गया कि जो अधिकारी युद्ध में सक्षम हैं और आर्मी हेडक्वार्टर में तैनात हैं, उन्हें फील्ड यूनिट में होना चाहिए.' आर्मी हेडक्वार्टर में कर्नल रैंक के अधिकारियों की संख्या 1 हजार से 1100 के करीब है.  

आर्मी का यह फैसला पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से जारी तनाव के बीच आया है. पुलवामा हमले का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित बालाकोट में घुसकर हवाई हमले किए. पिछले कई दिनों से पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर बिना उकसावे के गोलाबारी कर रहा है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि आर्मी अफसरों को मोर्चे पर भेजने का फैसला फौरी नहीं है और न ही पुलवामा हमले के बाद ऐसा किया गया है. बताया जा रहा है कि आर्मी ने इसके लिए पूर्व में 4 स्टडी करने के बाद आर्मी को और अधिक जुझारू बनाने की दिशा में यह कदम उठाया है. आर्मी हेडक्वार्टर का स्ट्रक्चर बदलने के लिए भी यह कदम उठाया गया है.  

सेना के एक अधिकारी ने कहा कि 'फील्ड यूनिट अभी अधिकारियों की जरूरत के 50 प्रतिशत पर काम कर रही है. इनमें 25 अधिकारी एक ही जगह होते हैं जबकि 10 से 12 अधिकारी ही मोर्चे पर तैनात होते हैं.' सेना के जवान लंबे दिनों से मांग करते रहे हैं कि मोर्चे पर ज्यादा से ज्यादा अधिकारी तैनात किए जाएं.' सेना के एक सूत्र ने कहा कि दरअसल अधिकारी ही युद्ध में फौजियों को संभालते हैं और दिशा निर्देश देते हैं. इसलिए ज्यादा अधिकारियों की तैनाती से जंगी कार्रवाई को और अधिक मजबूती मिलेगी. सेना अध्यक्ष बिपिन रावत आर्मी में सुधार के लिए पूरी तैयारी से लगे हुए हैं और 12 मुद्दे ऐसे हैं जिनपर गंभीरता से स्टडी चल रही है. इनमें एक स्टडी 1975 में जनरल कृष्णा राव की ओर से प्रस्तावित थी जिसमें अधिकारियों को मोर्चे पर भेजने की सिफारिश की गई थी. इसे सेना संभवतः जल्द ही लागू करेगी. इसके अलावा आर्मी स्टाफ स्ट्रैटजी के लिए एक नए डिप्टी चीफ का पद बनाए जाने का प्रस्ताव है. डिप्टी चीफ का काम ऑपरेशनल और फोर्स प्लानिंग का रहेगा. इनके पास मिलिटरी ऑपरेशन, मिलिटरी इंटेलीजेंस, स्ट्रैटजिक प्लानिंग और नया बना इन इनफॉरमेशन वॉरफेयर ब्रांच का काम रहेगा.

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