सुरक्षाबलों को समय, स्थान और स्वरूप चुनने की खुली छूट: PM मोदी

 
झांसी 

पुलवामा आतंकवादी हमले के एक दिन बाद शुक्रवार को झांसी में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्‍तान को चेतावनी दी और कहा कि इस हमले का बदला लिया जाएगा। सेना को जवाबी कार्रवाई के लिए समय और स्‍थान की इजाजत दे गई है। पीएम ने कहा कि हमारे जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी है। उनका ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पुलवामा के दोषियों को सजा जरूर मिलेगी। 
 उन्‍होंने कहा, 'आज देश बहुत ही उद्वेलित और दुखी है। आप सभी की भावनाओं को मैं भलीभांती समझ पा रहा हूं। सेना को कार्रवाई के लिए पूरी छूट दी गई है। शहीदों का बलिदान व्‍यर्थ नहीं जाएगा। पाकिस्तान की हालत इतनी खराब कर दी गई है कि बड़े-बड़े देशों ने उससे दूरी बना ली है। पाकिस्‍तान कटोरा लेकर भटक रहा है। उसकी हालत खराब कर दी गई है।' 
 
प्रधानमंत्री ने कहा, 'सुरक्षा बलों को आगे की कार्रवाई के लिए, समय क्या हो, स्थान क्या हो और स्वरूप कैसा हो, यह तय करने के लिए पूरी इजाजत दे दी गई है।' पीएम मोदी ने कहा, 'बदहाली के इस दौर में वह भारत पर इस तरह के हमले करके, पुलवामा जैसी तबाही मचाकर, हमें भी बदहाल करना चाहता है। लेकिन उसके इस मंसूबे का, देश के 130 करोड़ लोग, मिलकर जवाब देंगे, मुंहतोड़ जवाब देंगे।' 
  
 इंस्टिट्यूट फॉर इकनॉमिक्स ऐंड पीस एक ग्लोबल थिंक टैंक है जिसका मुख्यालय सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में है। इसकी शाखाएं न्यू यॉर्क, मेक्सिको और हेग में है। साल 2018 में इसने ग्लोबल टेररिजम इंडेक्स 2018 नाम से एक रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में साल 2017 में आतंकी हमलों में होने वाली मौतों का आंकड़ा पेश किया गया। साल 2017 में करीब 18,814 मौतें आतंकवादी हमलों में हुईं। इनमें से आधी से ज्यादा मौतों के लिए सिर्फ चार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट, तालिबान, अल शबाब और बोको हराम शामिल है। पिछले दशक में आतंकी हमलों में हुई मौतों में से 44 फीसदी के लिए ये संगठन ही जिम्मेदार हैं। इन मौतों के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ आतंकी संगठनों के बारे में जो दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है…

 अरब दुनिया में इसको दाएश के नाम से जाना जाता है। वैसे दुनिया भर में यह आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ऐंड सीरिया) यानी आईएसआईएल (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक ऐं लेवनात) के नाम से जाना जाता है। बगदादी के नेतृत्व में इसने अपनी खिलाफत की घोषणा की थी। संभवत: इतिहास का यह सबसे खतरनाक आतंकी संगठन है। कुछ ही सालों के अंदर इराक और सीरिया के बाहर कई देशों में इसने अपनी जड़ें जमा लीं। दुनिया का यह पहला आतंकी संगठन था जिसने टेक्नॉलजी को अपना हथियार बनाया। दुनिया भर में इसने सोशल मीडिया और इंटरनेट का इस्तेमाल करके युवाओं का ब्रेनवॉश किया। साल 2017 में 5,000 के करीब लोगों की मौत आईएस के आतंकी हमलों में हुई। सीरिया और इराक जहां से इसने अपने पैर पसारे थे, वहां पूरी तरह से इसको खदेड़ दिया गया है। लेकिन अब भी कई देशों में इससे जुड़े आतंकी सक्रिय हैं जो लगातार खतरा पैदा कर रहे हैं। 

 अफगान युद्ध के समय अमेरिका की मदद से लड़ने वाले मुजाहिदीनों का संगठन। बाद में अमेरिका के खिलाफ ही हथियार उठा लिया। साल 2001 से तालिबान ने अमेरिका के समर्थन वाले गठबंधन के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। साल 2017 में अफगानिस्तान में तालिबान ने करीब 700 हमले किए जिनमें 4,000 के करीब लोगों की मौत हुई। पड़ोसी पाकिस्तान में इससे जुड़े तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने 50 से ज्यादा हमलों में 233 जानें लीं।

तालिबान की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। अमेरिका ने सोवियत संघ को तोड़ने के लिए तालिबान का इस्तेमाल किया था। जब सोवियत संघ को अफगानिस्तान से खदेड़ दिया तो तालिबान ने 1996 में मुल्ला उमर के नेतृत्व में अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाई। 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ और उसमें अलकायदा का हाथ सामने आया। अल कायदा और तालिबान का संबंध काफी मजबूत था। यह भी माना जाता था कि ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान में ही शरण ले रखा है। अमेरिका ने बदले की कार्रवाई की जिसके बाद तालिबान को सत्ता गंवानी पड़ी। तब से यह अमेरिका के समर्थन वाले गठबंधन के खिलाफ लड़ रहा है।
 

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