सीडीएस बोले-भारत बनाएगा अपना थिअटर कमांड: चीन-पाकिस्‍तान से जंग का खतरा

 नई दिल्‍ली
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत थिअटर कमांड बनाने के लिए पश्चिमी देशों की नकल करने के बजाय अपनी तरह से प्रक्रिया तय करेगा। रावत का यह बयान ऐसे समय में आया है जब तीनों सेनाएं आधुनिकीकरण के लिए धन की कमी से जूझ रही हैं और पाकिस्‍तान तथा चीन के ख‍तरे को देखते हुए तत्‍काल जल, थल और नभ, तीनों सेनाओं को एकीकृत करने की जरूरत है।

 पदभार संभालने के बाद जनरल रावत ने कहा, 'थिअटर कमांड बनाने के कई तरीके हैं। हमें पश्चिमी या अन्‍य देशों का मॉडल कॉपी नहीं करना होगा। हमारी अपनी प्रणाली हो सकती है। हम मिलकर पूरी प्रक्रिया तैयार करेंगे… मैं समझता हूं कि यह प्रभावी होगी।' सीडीएस ने भले ही अभी थिअटर कमांड के बारे में विस्‍तृत ब्‍योरा नहीं दिया हो लेकिन सूत्रों के मुताबिक सरकार की तरफ से उन्‍हें अगले चार से पांच साल के अंदर पहला थिअटर कमांड बनाने की पहल करने, सिद्धांत बनाने और पूरा रोडमैप तैयार करने की जिम्‍मेदारी दी गई है।

ध्यान रहे कि भारत ने संयुक्त सैन्य कमांड की ओर कदम बढ़ा दिए हैं जहां आर्मी, नेवी और एयर फोर्स की पूरी सैन्य शक्ति का ऑपरेशनल कंट्रोल एक अकेले चार स्टार सैन्य जनरल के पास होगा। सरकार ने इस संबंध में जॉइंट कमांड से संबंधित नियमों और कंट्रोल रूल्स में बदलाव किया है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने सेना के संयुक्त कमांड को संचालित करने के लिए किसी भी एक सेवा (आर्मी, नेवी या एयर फोर्स) के एक अधिकारी को सीधे कमांड देने का अधिकार देने के लिए वैधानिक नियम और व्यवस्था को अधिसूचित किया है।

वर्तमान में सेना की 17 सिंगल सर्विस कमांड
अभी तक सेना के तीनों अंग आर्मी, नेवी और एयर फोर्स, अलग-अलग ऐक्ट और नियमों के तहत काम करते हैं। यह कदम खासतौर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंडमान और निकोबार कमांड के लिए लागू किया गया है जिसकी स्थापना भारत के पहले थिअटर कमांड के तौर पर अक्टूबर 2001 में की गई थी। हालांकि यह अभी तक सेना के तीनों अंगों के बीच अधिकार, फंड, राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान के कारण अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकी है।

बता दें कि रक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक कमिटी ने भारतीय सेना में तीन थिअटर कमांड बनाए जाने की अनुशंसा की थी। यह तीनों कमांड उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी कमांड होंगी जिनमें एक ही कमांडर के अंतर्गत तीनों सेनाएं काम करेंगी। वर्तमान में भारतीय सेना की 17 सिंगल सर्विस कमांड काम कर रही हैं। एक ऐसा प्रस्ताव भी लाया गया है कि चीन से लगती उत्तरी सीमा और पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा और समुद्री इलाके में जवाबी कार्रवाई के लिए संयुक्त थिअटर कमांड का गठन किया जाए लेकिन इस मामले में अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

वायुसेना कर रही है थिअटर कमांड का विरोध
वायुसेना थिअटर कमांड बनाने का कड़ा विरोध कर रही है। एयरफोर्स का कहना है कि संचालन के लिहाज से यह अव्‍यवहारिक होगा कि देश के 'सीमित हवाई ताकत' को विभिन्‍न थिअटर कमांड के अंतर्गत बांट दिया जाए। एयरफोर्स के केवल 30 फाइटर स्क्वॉड्रन हैं जबकि चीन और पाकिस्‍तान, दोनों मोर्चों पर निपटने के लिए भारत को 42 फाइटर स्क्वॉड्रन की जरूरत है।

एयरफोर्स के एक अधिकारी ने कहा, 'पूरे देश को एक थिअटर के रूप में देखा जाना चाहिए। हमने गगन शक्ति और अन्‍य युद्धाभ्‍यास के दौरान यह दिखाया है कि जरूरत पड़ी तो एयरफोर्स अपने जंगी साजोसामान को बहुत तेजी से पूर्वी मोर्चे से पश्चिमी और पश्चिमी मोर्चे से पूर्वी मोर्चे पर भेज सकती है।' एयरफोर्स के विरोध के बाद भी एक मजबूत राय बन रही है कि भारत भी थिअटर कमांड की ओर आगे बढ़े ताकि संसाधन बचाए जा सकें और भविष्‍य में होने वाले किसी युद्ध के लिए खुद को तैयार किया जा सके।

तीनों सेनाएं मिलकर 3 नहीं 7 होंगी: रावत
नई जिम्‍मेदारी संभालते हुए रावत ने कहा कि आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के बीच समन्वय स्थापित करना है। ये तीनों ही फोर्स टीम वर्क के तहत काम करेंगी और उस पर नजर रखने का काम सीडीएस करेगा। उन्होंने कहा कि हमें तीनों सेनाओं के जोड़ को तीन नहीं बनाना है बल्कि पांच या सात करना है। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस सेनाओं के संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल और साझा सैन्य अभ्यास पर रहेगा।

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