साल में 30 करोड़ हर्जाने की सिफारिशें, पर एक रुपया भी नहीं दिला पाया आयोग
भोपाल
मानवाधिकार आयोग की सिफारिशों को कोई भी विभाग गंभीरता से नहीं ले रहा है। आयोग ने पिछले एक साल में विभिन्न विभागों काे पीड़ितों को राहत देने के लिए 30 करोड़ हर्जाना देने के आदेश दिए, लेकिन लगातार इसकी अनदेखी की जा रही है। आयोग से न्याय मिलने के बाद भी संबंधित विभाग न तो दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर रहा है और न ही पीड़ितों को राहत मिल रही है।
आयोग सिफारिशों के पालन प्रतिवेदन के लिए लगातार रिमाइंडर पर रिमांइडर भेज रहा है, लेकिन जिम्मेदार विभाग ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। मानवाधिकार आयोग में पिछले एक साल में 10 हजार से अधिक लोगों ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें कीं। आयोग ने तकरीबन 4 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण करते हुए शासन को सिफारिशें भेजीं, लेकिन इन्हें गंभीरता से नहीं लिया गया। सिफारिशों का पालन न करने के मामले में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर गृह विभाग है। इसमें भी सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस उत्पीड़न की है। विभागों द्वारा सिफारिशों का पालन नहीं करने के कई मामलों में हाईकोर्ट तक की शरण लेना पड़ी।
मानवाधिकार आयोग ने शिकायतों की जांच के बाद दोषी पाए गए व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई और प्रभावित पक्षों को हर्जाना राशि देने के आदेश भी दिए हैं। विभागों को हर्जाने की राशि शासन या आरोपी पक्ष से वसूलकर पीड़ित को देना थी। आयोग के ऐसे आदेशों को लेकर शासन स्तर पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा ये रहा कि ऐसी करीब 30 करोड़ रुपए की राहत की सिफारिशें सरकार के पास अब भी लंबित हंै।
आयोग की सिफारिश को दरकिनार करने का आलम ये है कि पूर्व अध्यक्ष एके सक्सेना को सिफारिशें हाईकोर्ट भेजना पड़ीं। पूर्व अध्यक्ष ने 116 प्रकरण विधिक सेवा प्राधिकरण हाईकोर्ट को भेजे थे। इनमें कई प्रकरण 2004 और 2005 के भी थे। कार्यवाहक अध्यक्ष रहे वीके कंवर ने 115 सिफारिशों का पालन करने के लिए प्रकरण हाईकोर्ट भेजे। वर्तमान अध्यक्ष नरेंद्र कुमार जैन सिफारिशों का पालन कराने के लिए शासन को केवल रिमाइंडर भेज रहे हैं।
4,425 शिकायतें पुलिस प्रताड़ना की… 1 अप्रैल 2018 से मार्च 2019 तक 22 विभागों की मानवाधिकार हनन की 10,662 शिकायतें पहुंचीं। इनमें सबसे ज्यादा 4425 शिकायतें पुलिस प्रताड़ना की हैं। वहीं चिकित्सा स्वास्थ्य, स्कूल शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय विभाग, वन विभाग सहित अन्य विभागों की शिकायतें भी इनमें शामिल हैं। प्रकरणों का निराकरण करते हुए आयोग ने शासन को कुल 145 सिफारिशें भेजीं। इनमें 129 पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। यह सिफारिशें तो केवल 2016 और 2017 की हैं। इसके पूर्व की 527 सिफारिशों के लिए रिमाइंडर भेजे जा रहे हैं।