सामना में चीनी सामान पर रोक सरकार से मांग

मुंबई

भारत-चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है. कई दौर की बातचीत के बाद भी मसला फिलहाल सुलझ नहीं पाया है. हालांकि, भारत सरकार ने दावा किया है कि राजनयिक और सैन्य स्तर पर सुलह की कोशिश जारी रहेंगी. इस बीच चीन की विस्तारवादी नीतियों का जवाब देने के लिये उसके सामान का बहिष्कार करने की आवाज भी अलग-अलग मचों से उठाई जा रही है. अब शिवसेना के मुखपत्र सामना में भी ऐसी ही मांग की गई है. साथ ही केंद्र सरकार की भी आलोचना की गई है.

सामना में लिखा गया है कि एक तरफ 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' का ढोल पीटना और दूसरी तरफ चीन के लिए बाजार खोल देना, इससे चीन को आर्थिक बल मिलता है. कोरोना के कारण हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था समाप्त हो चुकी है, बेरोजगारी बढ़ी है और यहां चीनी माल का बाजार खुला करके उसकी राक्षसी महत्वाकांक्षा और साम्राज्यवाद को ताकत दी जा रही है. संपादकीय में मांग की गई है कि चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल पर रोक आवश्यक है और सरकार को इस पर निर्णय लेना ही पड़ेगा.

बातचीत पर भी उठाये सवाल

हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई कमांडर स्तर की बातचीत पर भी सामना में सवाल उठाये गये हैं. लिखा गया है कि पूर्व लद्दाख में प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर एक महीने से हिंदुस्तान और चीन की सेना आमने-सामने है. दोनों देशों के सेना कमांडरों में शनिवार को चर्चा हुई. यह चर्चा सकारात्मक रही, ऐसा हमारी ओर से कहा गया, चीन की ओर से नहीं, यह ध्यान रखना चाहिए.

नेहरू पर ठीकरा फोड़ना ही एकमात्र तैयारी

सामना में 1962 के युद्ध का भी जिक्र किया गया. लिखा गया है कि 1962 में जो हुआ उसका ठीकरा आज भी पंडित नेहरू और गांधी परिवार पर फोड़ना, चीन के विरुद्ध हमारी युद्ध की एकमात्र तैयारी रह गई है. जब राहुल गांधी चीन के बारे में कोई सवाल पूछते हैं तो चीन की समस्या नेहरू के कारण पैदा हुई, ऐसा कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है.

56 इंच के सीने की जरूरत

संपादकीय में लिखा गया है कि पाकिस्तान से लड़ने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए, ऐसा हमें नहीं लगता. पाकिस्तान चीन का गुलाम है, लेकिन चीन से लड़ने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए और वह प्रधानमंत्री मोदी के पास है. इसलिए चीन से घबराने की जरूरत नहीं, देश चिंता न करे. सीमा पर सेना मुस्तैद है. आज 1962 का हिंदुस्तान नहीं है. हमारे सैनिकों के हाथ में थाली, चम्मच और मोमबत्तियां नहीं, बल्कि बंदूकें हैं! चीन को यह दिखा देने का यही समय है.

गौरतलब है कि चीन से विवाद के बीच कुछ चाइनीज मोबाइल ऐप भी विरोधस्वरूप अनइंस्टॉल किये गये हैं. साथ ही कुछ संगठनों ने भी चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग की है. हालांकि, दोनों देशों के बीच बड़ा कारोबार किया जाता है. 2019 में ये कारोबार 70 अरब डॉलर से ज्यादा का था.

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