सरकारी आदेश न मानने के लिए आलोक वर्मा के खिलाफ हो सकता है ऐक्शन: अधिकारी

 
नई दिल्ली 

CBI निदेशक के पद से हटाए गए आलोक वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अधिकारियों ने बताया है कि सरकारी आदेश न मानने के लिए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा सकती है। दरअसल, सेवानिवृत्ति के दिन गुरुवार को उन्हें फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स के प्रमुख का पद संभालने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ऐसे में विभागीय कार्रवाई के तहत पेंशन से संबंधित लाभ का निलंबन शामिल है।  
अधिकारियों ने बताया कि इस तरह निर्देश का पालन न करना अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए सर्विस रूल्स का उल्लंघन माना जाता है। गौरतलब है कि सीबीआई चीफ के पद से हटाने के बाद वर्मा को नया कार्यभार संभालने का आदेश जारी हुआ था। हालांकि वर्मा ने निर्देश के तहत नया असाइनमेंट स्वीकार नहीं किया। 

गृह मंत्रालय (MHA) के अधिकारियों की मानें तो उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसके तहत पेंशन से संबंधित लाभ का निलंबन शामिल है। फिलहाल इस पर वर्मा की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। बुधवार को वर्मा को भेजे पत्र में MHA ने कहा, 'आपको DG फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स का पद तत्काल संभालने का निर्देश दिया जाता है। 

माना जा रहा है कि इस पत्र के जरिए सरकार ने वर्मा की ओर से कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव को लिखे उस पत्र को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें 31 जुलाई 2017 को सेवानिवृत्त माना जाए क्योंकि उस दिन वह 60 साल की उम्र पूरी कर चुके थे। वर्मा ने तर्क रखा था कि वह DG फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स पद के लिहाज से उम्र सीमा पार कर गए हैं और वह चाहते हैं कि उन्हें सीबीआई से हटाए जाने वाले दिन से सेवानिवृत्त समझा जाए। 

उन्होंने कहा कि वह तो 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर सरकार की सेवा कर रहे थे क्योंकि यह निश्चित कार्यकाल था। CBI निदेशक का कार्यकाल 2 साल के लिए निश्चित होता है। आपको बता दें कि दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर वर्मा को CVC की सिफारिश पर पिछले साल अक्टूबर में सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया था। 

हालांकि बाद में 9 जनवरी को उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने उनके पद पर बहाल कर दिया। इसके बाद घटनाक्रम तेजी से बदले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय पैनल ने 2:1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाते हुए नया कार्यभार सौंपा। पैनल में चीफ जस्टिस की तरफ से जस्टिस एके सीकरी और कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। खड़गे ने फैसले का विरोध किया था। 
 

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