‘पे टु स्टे’ वीजा रैकेट का भंडाफोड़, 100 भारतीयों पर प्रत्यर्पण की तलवार लटकी

वॉशिंगटन 
अमेरिका में ‘पे टु स्टे’ वीजा रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद भारतीयों समेत कई विदेशियों पर उनके देश वापस भेजे जाने की तलवार लटक गयी है। अधिकारियों ने कम से कम 600 प्रवासियों को देश में अवैध तरीके से बने रहने में मदद पहुंचाने के आरोप में आठ मास्टरमाइंड और करीब 100 छात्रों को गिरफ्तार किया है।  
 
देर रात और तड़के मारे गये छापे में अमेरिका के आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग (आईसीई) ने आठ कथित मास्टरमाइंड और करीब 100 छात्रों को गिरफ्तार किया है। उनमें सभी भारतीय नागरिक हैं या भारतीय अमेरिकी हैं। उन पर विदेशी नागरिकों को डेट्रॉयट के फार्मिंगटन हिल्स में एक फर्जी विश्वविद्यालय में दाखिला दिलाकर उन्हें अवैध रूप से अमेरिका में ठहराने में मदद पहुंचाने का आरोप है। 

होमलैंड सुरक्षा के विशेष जांच एजेंट एक गुप्त अभियान के तहत डेट्रॉयट से यह विश्वविद्यालय चला रहे थे जिसकी साजिशकर्ताओं को भनक तक नहीं लगी। इस विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर खासकर दाखिलों के संदर्भ में डाली गई सूचनाओं में काफी कुछ गड़बड़झाला था। साथ ही आईसीई ने इस फर्जी विश्वविद्यालय के विदेशी विद्यार्थियों को हिरासत में लेना शुरु कर दिया और उनके उनके देश भेजने की प्रक्रिया शुरु कर दी। 

एक आईसीई अधिकारी को बताया कि गिरफ्तार किये गये लोगों में ज्यादातर भारतीय है। अधिकारी ने कहा, 'आईसीई की होमलैंड सिक्यॉरिटी इन्वेस्टीगेशन्स के विशेष एजेंटों ने आठ लोगों को अमेरिकी विद्यार्थी वीजा व्यवस्था के संभावित उल्लंघन की जांच के तहत आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किया है।' गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान भारत काकीरेड्डी, सुरेश कंडाला, पाणिदीप कर्नाटी, प्रेम रामपीसा, संतोष सामा, अविनाश थक्कलापल्ली, अश्वंत नुणे और नवीन प्रतिपति के रूप में हुई है। इनमें से छह को डेट्रॉयट इलाके से जबकि अन्य दो को वर्जीनिया और फ्लोरिडा से गिरफ्तार किया गया है। बुधवार को एक स्थानीय अदालत में खोले गये अभियोग पत्र के अनुसार इन आठों ने कम से कम 600 लोगों को अमेरिका में अवैध रूप से ठहराने में मदद पहुंचाई। 
 

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