समाज का फरमान दूल्हे के अरमानों पर पड़ा भारी, देर से बारात लाने पर लौटाई बारात

रायपुर 
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में समाज का फरमान एक दूल्हे के अरमानों पर भारी पड़ गया और दूल्हे को बिना दुल्हन के ही बारात बैंरग लेकर लौटना पडा. दूल्हे की गलती सिर्फ इतनी थी कि वो बारात लेकर एक घंटा देरी से पहुंचा. दरअसल पंडरा माली समाज में शाम के बाद बारात का स्वागत का नियम नहीं है, नशे पर बंदिश लगाने ऐसा नियम बनाया गया है, जिसके चलते बाजे गाजे और सैंकडो बारातियों के साथ देर से पहुंचे बरातियों को घरातियों ने बारात को परघाने से मना कर दिया, जिसके बाद गुस्साए बराती दूल्हे को बिना दुल्हन के ही वापस लेकर लौट आए.

घरातियों का कहना है कि बारात तय समय से लेट पहुंची, जिसके चलते समाजिक नियम आड़े आ गया और वो बारात का स्वागत नहीं कर पाए. वहीं दूल्हा पक्ष का कहना है कि बारात महज एक घंटा देरी से ही पहुंची थी, यदि लड़की पक्ष चाहता तो बारात को परघाकर स्वागत कर सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसके कारण उन्हें बिना दुल्हन के ही वापस लौटना पड़ा.

जानकारी के मुताबिक पूरा मामला पंडरा माली समाज का है, जहां समाज के अध्यक्ष नीलकंठ बीसी के मुताबिक दिन ढलने के बाद बारात परघाने का उनके समाज में नियम नही है, बता दें कि बारातियों द्वारा रात में शराब पीकर हुड़दंग से बचने के लिए ये नियम बनाया गया है, जो समाज के सभी लोगों के लिए है. दूल्हे का पिता खुद समाजिक पदाधिकारी है और उसे ये बात अच्छी मालूम थी उसके बाद भी वह शुक्रवार को बारात देरी से लेकर आया और बारात परघाने की जिद करने लगा जिसके चलते ये हालात पैदा हुए.

हालांकि बारात वापस लौटने के बाद दूल्हे के बाप ने आनन-फानन में अपने बेटे की शादी दूसरे गांव में कर दी और दूल्हा 24 घंटे में ही दूसरी दुल्हन लेकर घर लौट आया, लेकिन यहां आर्थिक तंगी के चलते उसे मोटर साइकिलों पर ही बारात निकालनी पड़ी.

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