समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर सांसदों की किस्त रोकी
भोपाल
समय पर उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराने पर केन्द्र सरकार ने प्रदेश के कई सांसदों की अगली किश्त रोक दी है। वहीं कांग्रेस सांसद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पूरी राशि रिलीज कराने में सफल रहे हैं। जबकि खर्च करने के मामले में भाजपा के दमोह सांसद प्रहलाद पटेल टॉप थ्री में हैं। बड़ी बात सामने आई है कि कुछ सांसदों ने 25 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव जिलों में भेजे हैं लेकिन काम मंजूर कराने में फिसड्डी हैं।
लोकसभा चुनाव के चलते मार्च में आचार संहिता लागू हो, इसके पहले सांसदों को अपनी विकास निधि खर्च करना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सभी सांसदों से कहा है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर फोकस करते हुये राशि जारी करें। लेकिन, प्रदेश के कई सांसदों ने उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करके राशि रिलीज कराने में मुश्किलें खड़ी कर दी है।
आडिट सार्टिफिकेट और उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर नहीं देने से टीकमगढ़, उज्जैन, भोपाल, मुरैना, मंडला, झाबुआ, खजुराहो, खंडवा, जबलपुर, खरगोन, मंदसौर, होशंगाबाद, बैतूल और सीधी सांसदों को आखिरी किश्त जारी नहीं की गई है। विदिशा सांसद सुषमा स्वराज द्वारा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद से सांसद निधि से विकास कराने प्रस्ताव ही नहीं भेजे हैं। उन्हें केन्द्र सरकार ने आखिरी किश्त 27 अप्रैल को दी थी।
स्वराज द्वारा प्रस्तुत की गई आडिट रिपोर्ट सही नहीं पाई गई है। इसी तरह सीधी सांसद रीति पाठक को 22 जून, भिंड के भागीरथ प्रसाद को 26 जुलाई सहित उज्जैन, शहडोल, झाबुआ सांसदों को जनवरी माह में किश्त रिलीज नहीं हुई है। भोपाल के सांसद आलोक संजर और बैतूल की ज्योति धुर्वे दस-दस करोड़ पाने में पीछे हैं।
सांसदों को हर साल दो किश्त के तोर पर पांच करोड़ रुपये मिलते हैं। पांच साल में 25 करोड़ मिलना चाहिए। पूरी राशि हासिल करने वालों में धार, इंदौर, सतना, बालाघाट, दमोह, सागर, छिंदवाड़ा, गुना, राजगढ़ और देवास हैं।
सांसद निधि हासिल करने में सबसे फिसड्डी भोपाल के आलोक संजर हैं, इन्हें 15 करोड़ मिले हैं। वहीं बैतूल की ज्योति धुर्वे को 15 करोड़, राकेश सिंह जबलपुर को 20 करोड़, नंद कुमार सिंह चौहान 20 करोड़, रीति पाठक 20 करोड़, नरेन्द्र सिंह तोमर 15 करोड़ और फग्गन सिंह कुलस्ते 17 करोड़ 50 लाख की राशि रिलीज करा पाये हैं।