सबसे कम उम्र में महाधिवक्ता बनने वाले विवेक तन्खा, क्या भेद सकेंगे बीजेपी का किला

जबलपुर
मध्य प्रदेश के जबलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा के सामने बीजेपी के कद्दावर नेता और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह खड़े हैं. कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में वकील और राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को एक बार फिर से मैदान में उतारा है. बता दें कि तन्खा को राकेश सिंह ने वर्ष 2014 लोकसभा के चुनाव में 2 लाख से ज्यादा मतों से हराया था.

लिहाजा, राजनीति का केंद्र जबलपुर सीट को जीतना इस बार कांग्रेस के लिए चुनौती बन गया है. दरअसल, ये सीट बीजेपी का गढ़ है. यहां पर सन् 1996 से बीजेपी लगातार जीत का परचम लहराती आ रही है. 23 साल से बीजेपी को यहां पर कोई हिला नहीं पाया है.

बहरहाल, आपको बता दें कि कांग्रेस ने एक बार फिर जबलपुर संसदीय सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता राकेश सिंह के सामने विवेक तन्खा को उतारा है. विवेक तन्खा भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील और संसद के सदस्य हैं. राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश के सदस्य के रूप में तन्खा को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से चुना गया था.
 
विवेक तन्खा मध्य प्रदेश के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरलों में से एक थे. सन् 1999 में तन्खा को वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा उच्च न्यायालय में नामित किया गया था. वे पहले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भारत के वकील के रूप में मध्य प्रदेश के लिए नियुक्त किए गए थे. उन्होंने तब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच में विवादों को हल करने के लिए एक प्रमुख भूमिका निभाई थी.

बहरहाल, कांग्रेस के लिए अपने पुराने गढ़ को फिर से हासिल करने की चुनौती है. जबलपुर में बीजेपी की जड़ें गहरी हैं. महाकौशल क्षेत्र का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भी जबलपुर में है. पिछले 6 चुनावों में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की है. इस सीट पर कांग्रेस आखिरी बार सन् 1991 में जीती थी.

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