सपा और बसपा अलग-अलग लड़ने को तैयार, ऐसी है तैयारी

लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा की 11 सीटों पर उपचुनाव के लिए सभी प्रमुख दल मैदान में डट गए हैं। लोकसभा चुनाव में मिल कर लड़े सपा और बसपा का गठबंधन टूट चुका है और इन उपचुनाव में ये दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। जबकि सत्ताधारी भाजपा इस स्थिति से और भी आत्मविश्वास में है, फिर भी वह कोई खतरा न उठाते हुए सभी सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। कांग्रेस इस बार भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है। 

भाजपा : चुनावी तैयारियों में सबसे आगे 
भाजपा ने प्रत्याशी भले ही अभी तय न किए हों, लेकिन अपने पक्ष में  माहौल बनाने में पूरी तरह सक्रिय है। उपचुनाव वाले सभी विधानसभा क्षेत्रों में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का दौरा हो चुका है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी कई सीटों पर प्रचार के लिए जा चुके हैं। विधायक से सांसद बने पार्टी नेता क्षेत्र में लगातार पदयात्राएं कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में भाजपा पदाधिकारी और मंत्रियों द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35-ए समाप्त करने से संबंधित साहित्य भी बांटा जा रहा है। रणनीति के तहत सप्ताह में कम से कम एक बार प्रदेश सरकार का कोई मंत्री और एक पदाधिकारी चुनाव क्षेत्र में भेजे जा रहे हैं। 

सपा : दमदार प्रत्याशी की तलाश 
सपा ने उपचुनाव वाली सीटों पर दमदार प्रत्याशी तय करने की कवायद तेज कर दी है। अब तक उसने दो सीटों पर ही प्रत्याशी तय किए हैं। पार्टी अब संगठन की मजबूती देने में लगी है। इसके लिए सदस्यता अभियान चल रहा है। वैसे तो सपा ने अब किसी बड़े दल से मिल कर चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है। फिर भी उसे छोटे दलों से स्थानीय स्तर पर गठबंधन करने में परहेज नहीं है। सूत्र बताते हैं कि सुभासपा के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री ओम प्रकाश राजभर की सपा से कुछ सीटों पर तालमेल कर चुनाव लड़ने की बात चल रही है। सुभासपा ने सपा से तीन सीटें जलालपुर, बलहा व घोसी मांगी है। राजभर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के संपर्क में बने हुए हैं। 

बसपा : सबसे पहले घोषित किए प्रत्याशी 
कई सालों से उप चुनाव न लड़ने वाली बसपा इस बार पूरी दमदारी से इस जंग में उतर रही है। बसपा ने सपा से गठबंधन तोड़ने के बाद सबसे पहले उप चुनाव लड़ने की घोषणा की थी और उसने अपने उम्मीदवारों का ऐलान भी कर रखा है। उप चुनाव की तैयारियों की कमान मायावती स्वयं संभाले हुए हैं। इसकी देखरेख की जिम्मेदारी मुनकाद अली, आरएस कुशवाहा और एमएलसी भीमराव अंबेडकर को दी गई है। ये प्रदेश कोआर्डिनेटर मायावती का संदेश निचले स्तर पर पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
 
कांग्रेस बलहा विधानसभा सीट छोड़ कर उपचुनाव वाली बाकी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। पार्टी की कोशिश विधानसभा उपचुनाव में बेहतर नतीजे लाने की है। बीते तीन दशक से प्रदेश की सत्ता से बाहर कांग्रेस का हालिया लोकसभा चुनाव में भी बेहद निराशाजनक प्रदर्शन रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से राज बब्बर इस्तीफा दे चुके हैं। फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी की तैनाती नहीं हुई है। जिला-शहर इकाइयां भंग चल रही हैं। बेहतर नतीजे लाने में पार्टी के सामने कमजोर संगठन बड़ी चुनौती है।
 

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