सऊदी प्लांट अटैक: 100 साल में पहली बार आया ऐसा संकट

दुबई
सऊदी अरब के ऑइल प्लांट पर यमन के हथियारबंद हूथी विद्रोही संगठन के हमले ने क्रूड ऑइल की सप्लाई को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। करीब एक सदी पुरानी इस इंडस्ट्री के समक्ष पहली बार आपूर्ति को लेकर इस तरह का संकट खड़ा हुआ है। इस हमले के चलते आपूर्ति में 57 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आई है, जो वैश्विक आपूर्ति का 6 फीसदी है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में ग्लोबल क्रूड सप्लाई चेन के लिए यह गंभीर चुनौती है और अनियंत्रित युद्ध की स्थिति में विकट हालात पैदा हो सकते हैं।

शनिवार सुबह हूथी विद्रोही संगठन ने सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर ड्रोन अटैक किए थे। इसके बाद से सऊदी अरब की तेल कंपनी ने उत्पादन को लगभग आधा कर दिया है। सऊदी तेल कंपनी अरामको ने कहा कि वह अगले करीब दो दिनों तक उत्पादन को कम रखेगी ताकि उन तेल कुओं की मरम्मत की जा सके, जहां हमला हुआ है।

ब्लूमबर्ग से बात करते हुए नाइजीरिया नैशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के मुखिया मेले कयारी ने कहा, 'सऊदी अरब के प्लांट में जो हमला हुआ है, वह चिंताजनक है। तेल मार्केट के लिए कुओं की रक्षा करना चुनौतीपूर्ण है।' ड्रोन के जरिए हमले ने यह साबित किया है कि तेल कुओं पर हमले के लिए अडवांस रॉकेट्स की ही जरूरत नहीं है। अमेरिका स्थित रिस्क कंसल्टेंट मिलेना रॉडबैन ने कहा, 'ड्रोन्स के इस्तेमाल से यह पता चलता है कि दुश्मन हवाई ताकत के जरिए तेल आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं।'

उन्होंने कहा कि हूथी विद्रोहियों के अलावा अन्य ताकतों के लिए भी सऊदी अरब के फैसिलिटी सेंटर्स या तेल कुएं टारगेट हो सकते हैं। तेल बाजार में हलचल की स्थिति पैदा करने, निवेशकों में बेचैनी पैदा करने के मकसद से भी ऐसा किया जा सकता है। बीते 4 महीनों में यह छठा मौका है, जब सऊदी अरब के फैसिलिटी सेंटर या फिर आपूर्ति करने वाले तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया।

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