शराब की बिक्री से रिवेन्यू बढ़ाने का प्लान

ग्वालियर
प्रदेश भर में देशी व अंग्रेजी शराब की नई दुकानें खोलने की तैयार चल रही है। जिलों में जिन जगहों पर पहले से शराब दुकानें संचालित हैं,उनके अधीन निर्धारित सीमा के भीतर ही उप दुकानें खोलने पर विचार किया जा रहा है। शराब की बिक्री से रिवेन्यू बढ़ाने के लिए आबकारी विभाग के अफसर इस तरह की प्लानिंग में जुटे हैं।

शराब की उप दुकानें खोलने की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही है,क्योंकि वित्तीय संकट से दौर से गुजर रही प्रदेश सरकार को आबकारी विभाग से और ज्यादा राजस्व चाहिए। शासन ने विभाग को नया टारगेट 13000(तेरह हजार)करोड़ रूपए का दे दिया है। जिसे सुन विभागीय अफसरों की टेंशन बढ़ गई है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2019-20 में नौ हजार करोड़ रूपए का राजस्व जुटाकर आबकारी महकमा शासन को देगा। नए टारगेट के अनुसार चार हजार करोड़ रूपए और चाहिए। वर्तमान में जिनकी शराब दुकानें हैं,उन पर शराब बिक्री से शासन की मंशा के अनुसार राजस्व जुटा पाना असंभव है।

यही बजह है कि आबकारी विभाग के आला अफसर फिलहाल यही विचार-मंथन कर रहे हैं कि किस तरह से राजस्व बढ़ाया जाए। इसी के तहत प्लानिंग की गई है कि आॅफ श्रेणी की शराब दुकानों पर अहाता सुविधा प्रदान कर दी जाए तो कुछ रिवेन्यू बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इससे राजस्व में कोई खास वृद्धि नहीं होगी। इसलिए उप दुकानों के रूप में नई शराब दुकानें खोलने पर विचार चल रहा। किस जिले में कितनी उप दुकानें खुल सकती हैं,इसको लेकर जिलों से प्रस्ताव मांगे जा सकते हैं। नई दुकानों के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है,जिससे आबकारी राजस्व में बढ़ोतरी की जा सके। अब देखना यह है इसमें आबकारी अफसर किस हद तक कामयाब होते हैं।

15 साल तक प्रदेश की सत्ता में रही बीजेपी सरकार का फोसक आबकारी राजस्व बढ़ाने पर तो रहा,लेकिन इसके लिए कोई भी नई सरकार दुकानें नहीं खोलने दी गर्इं। आबकारी विभाग की तरफ से नई दुकानें खोलने के प्रस्ताव गए,उन्हें शासन ने हर बार खारिज कर दिया। मौजूदा शराब दुकानों की हर साल लायसेंस फीस बढ़ाकर ज्यादा कमाई की गई। वहीं शिवराज सरकार ने नर्मदा नदी के आस-पास और गर्ल्स हॉस्टलों व शिक्षण संस्थानों के पास की कई दुकानें बंद भी करा दीं। इसी के साथ ही आॅफ श्रेणी की शराब दुकानों पर निर्धारित फीस जमा कर चलाए जाने वाले अहाता भी बंद करा दिए।

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