वो तीन मौके पर जब सिंधिया के हाथ से निकल गए यह पद!

भोपाल
केंद्रीय राजनीति में मध्य प्रदेश का जब नामआता है तो कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को भी शुमार किया जाता है। इन नेताओं में मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेताओं में आता है। प्रदेश में जब भी कोई बड़ी जिम्मेदारी की बात आती है तो इन नेताओं का नाम सबसे पहले सामने आता है। यही कारण है कि प्रदेश के छिंदवाड़ा से नौ बार से लगातार सांसदे रहे कमलनाथ पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने भरोसा किया और उन्हें प्रदेश की कमान सौंंपी। यही नहीं विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हे मुख्यमंत्री भी बनाया गया। लेकिन इन सब घटनाक्रम के दौरान सिंधिया से ऐसे तीन मौके हाथ से निकले जब उनका नाम सीएम से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के लिए सबसे आगे बताया जा रहा था।

पिछले 9 महीने में तीन ऐसे मौके आए जब सिंधिया खेमे में बड़ी आस जागी थी। विधानसभा चुनाव जितने से पहले कांग्रेस ने सिंधिया को प्रचार समिति का प्रमुख बनाया गया था। यह सिंधिया की सियासत में बड़ा मोड़ था। क्योंकि इससे पहले वह सिर्फ केंद्रीय राजनीति में ही बड़े पदों पर रहे थे। केंद्रीय मंत्री तक के पद की उन्होंंने जिम्मेदारी संभाली। लेकिन प्रदेश में उनकी सियासत सिर्फ ग्वालियर और चंबल तक सीमीत थी। सिंधिया ने भी जमकर मेहनत की और विधानसभा चुनाव में इसके नतीजे भी साफ दिखे। उनके क्षेत्र में कांग्रेस को 22 सीटें मिली। जिसके बाद उम्मीद थी कि उन्हें मुख्यमंत्री का प्रबल दावेदार माना गया। यह पहला मौका था जब सिंधिया की सियासत में बड़ा बदलाव आ सकता था। लेकिन अपने पुराने साथियोंं के साथ कमलनाथ ने यहां बाजी मारी और दिल्ली से अपने नाम का ऐलान करवाने में कामयाब हुए।

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया। सिंधिया भी अपनी पारंपरिक सीट से लोकसभा चुनाव हार गए। जिसके बाद उन्हें बड़ा झटका लगा। राहुल के इस्तीफा देने से सिंधिया का भी दखल केंद्र में कम हो गया। राहुल के इस्तीफा देने के बाद उनका नाम भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर सामने आया। एक बार फिर सिंधिया खेमे की ओर से मांग की गई किसी युवा को पार्टी की कमान सौंपी जाए। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा ने पार्टी नेतृत्व को ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नाम सुझाए। युवा चेहरों में इस पद के दावेदार के रूप में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आगे चल रहा था। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा ने पार्टी नेतृत्व को ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट के नाम सुझाए। लेकिन सिर्फ त्रिपुरा कांग्रेस ने ही सिंधिया के नाम को आगे बढ़ाया। मध्यप्रदेश से कोई भी नेता ने रायशुमारी के दौरान सिंधिया के नाम को आगे नहीं किया। अंत में सिंधिया इस रेस से बाहर हो गए।

मध्य प्रदेश कांग्रेस को पिछले एक साल से नए अध्यक्ष का इंतजार है। मुख्यमंत्री कमलनाथ फिलहाल दोनों पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। हाल ही में सोनिया गांधी ने कमान संभालने के बाद इस बात पर विचार करना शुरू कर दिया है कि पार्टी में एक नेता के पास सिर्फ एक ही पद होगा। इसके तहत कमलनाथ के पास से अध्यक्ष का पद वापस लिया जाएगा। कमलनाथ खुद भी कह चुके हैं कि वह दो जिम्मेदारी एक साथ नहीं संभाल सकते। इस बार फिर सिंधिया का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए सामने आया। लेकिन पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव समिति का अध्यक्ष बना दिया। दिसंबर में महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं। सिंधिया वहां जबतक व्यस्त रहेंगे। इधर, दिसंबर तक प्रदेश अध्यक्ष के नाम का फैसला भी होना है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी सिंधिया के हाथ से यह मौका भी निकल गया है। कमलनाथ अपने किसी खास को इसपद पर देखना चाहते हैं। इनमें गृह मंत्री बाला बच्चन का नाम भी सबसे आगे है।

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