वॉट्सऐप के बाद भी ‘जिंदा’ है SMS, जानें कैसे

 नई दिल्ली
अगर आपको लगता है कि वॉट्सऐप (WhatsApp), फेसबुक मेसेंजर, टेलीग्राम जैसे मेसेजिंग ऐप और प्लैटफॉर्म के कारण SMS या शॉर्ट मेसेजिंग सर्विस की धीमी 'मौत' हो गई है। यानी, SMS का वजूद खत्म हो गया है, तो आपको अपनी राय बदलने की जरूरत है। 2019 में SMS के 50 करोड़ डॉलर (करीब 35 अरब रुपये) से ज्यादा का बिजनस करने की उम्मीद है। साथ ही, हर महीने टेलिकॉम नेटवर्क्स में करीब 22 अरब SMS भेजे जा रहे हैं।

हालांकि, पर्सन-टू-पर्सन मेसेज (एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को भेजे जाने वाले SMS) कैटिगरी में ग्रोथ देखने को नहीं मिली है। इस कैटिगरी की ग्रोथ लगभग फ्लैट रही है। ऐप-टू-पर्सन (A2P) SMS कैटिगरी में जबर्दस्त ग्रोथ देखने को मिली है और इसकी वजह ऐप्स हैं, जिन्हें यूजर्स अपने स्मार्टफोन्स में डाउनलोड कर रहे हैं। ये ऐप्स, यूजर्स को टेक्स्ट मेसेज भेजे रहे हैं। इन ऐप्स की तरफ से नोटिफिकेशंस, ऐडवर्टाइजमेंट्स, प्रमोशंस और ट्रांजैक्शन कंफर्मेशंस टेक्स्ट मेसेज के रूप में आ रहे हैं।

 

इंडस्ट्री डेटा के मुताबिक, साल 2014 से ऐप-टू-पर्सन SMS कैटिगरी में हर साल 20 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली है और साल 2018 में यह 210 अरब मेसेज तक पहुंच गई है। इस साल यानी 2019 में इसके 265 अरब मेसेज पहुंचने की उम्मीद है। पांच साल पहले यह आंकड़ा 100 अरब मेसेज से कम था। अर्न्स्ट एंड यंग में टेलिकॉम एडवायजरी के पार्टनर और लीडर भारत भार्गव का कहना है, 'ऐप-टू-पर्सन SMS या एंटरप्राइस मेसेजिंग में तेज उछाल देखने को मिला है।' उन्होंने बताया कि मार्केटिंग, बैंकिंग, वन-टाइम-पासवर्ड (OTP) कंफर्मेशंस, ट्रांजैक्शन अलर्ट, नोटिफिकेशंस, ब्रैंडिंग जैसे वर्टिकल्स में इसका एडॉप्शन तेजी से बढ़ा है।

 

हालांकि, यूजर्स की तरफ से एक महीने में भेजे जाने वाले मेसेज में तेज गिरावट आई है। एनालिसिस मैसन के डेटा के मुताबिक, 2012 में एक यूजर द्वारा महीने में भेजे जाने वाले मेसेज की संख्या 38 थी, जो कि पिछले साल घटकर 16 ही रह गई। वॉट्सऐप, फेसबुक मेसेंजर समेत दूसरे ओवर-द-टॉप ऐप्स के आने से पहले पर्सन-टू-पर्सन मेसेज का वॉल्यूम भारत में 391 अरब था। इन ऐप्स के आने के बाद लगातार इसमें गिरावट आई है और 2017 में यह घटकर 226 अरब मेसेज के स्तर पर पहुंच गया।

एनालिस्टों का कहना है कि ऐप-टू-पर्सन मेसेज ने पर्सन-टू-पर्सन मेसेज में आई गिरावट की भरपाई की है। भारतीय टेलिकॉम कंपनियां (खासतौर से पुरानी कंपनियां) इस बदलाव से काफी खुश हैं। टेलिकॉम कंपनियां देश के भीतर प्रत्येक मेसेज के लिए 10 पैसे और इंटरनैशनल मेसेज के लिए 1 रुपये ऐप कंपनियों से चार्ज करती हैं। टेलिकॉम कंपनियों को 2019 में इससे करीब 3,576 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिलने की उम्मीद है। 2017 में टेलिकॉम कंपनियों को इससे 1,457 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था।

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