विराट कोहली अपने ब्रह्मास्त्र बुमराह का समझदारी से इस्तेमाल करें तो तबाही तय है

पर्थ 
पर्थ की उड़ान के दौरान कप्तान विराट कोहली ने अपने तेज गेंदबाजों का सफर आरामदायक करने के लिए अपनी व पत्नी की एक्जीयूटिव क्लास सीट उनके लिए खाली कर दी थी. तेज गेंदबाजों से उनका श्रेष्ठ प्रदर्शन करवाने और उनका करियर लंबा करने के लिए इस तरह का ट्रीटमेंट जरूरी है. कप्तान विराट की इसके लिए जितनी तारीफ की जाए कम है.

अभी कुछ दिन पहले की ही बात है कि बॉलिंग कोच भरत अरुण ने कहा कि पेसरों की रेस के घोड़ों की तरह केयर जरूरी है. भरत का नजरिया भी काबिले-तारीफ है. यकीनन कप्तान और बॉलिंग कोच को इस बात का अंदाजा है कि उसे ऑस्ट्रेलिया में मैच जिता रहे तेज गेंदबाजों को कैसे इस्तेमाल करना है. जैसा कि कप्तान कह चुके हैं कि जसप्रीत बुमराह इस समय विश्व के सबसे बेहतरीन गेंदबाज हैं, अंदाजा हो जाना चाहिए कि विराट का भरोसा गुजरात के इस गेंदबाज पर कितना बढ़ा है. वह उन्हें मैच जिता कर भी दे रहे हैं. लेकिन जिस हिसाब से बुमराह अधिक गेंदबाजी कर रहे हैं, वह उन्हें चोट और थकान की तरफ धकेल सकती है.

25 साल के बुमराह का बिना कोहनी मुड़े सीधे हाथ वाला बॉलिंग एक्शन काफी संवेदनशील है और थका देने वाला भी. ऐसे में बतौर तेज गेंदबाज बुमराह का ज्यादा इस्तेमाल ना केवल उन्हें, बल्कि कप्तान व टीम को परेशानी में डाल सकता है.

इस सीरीज में बुमराह अब तक 135 ओवर गेंदबाजी कर चुके हैं जो इशांत के 103 और मोहम्मद शमी के 116 ओवरों की तुलना कहीं अधिक है. बुमराह अब तक अपने नौ टेस्ट मैचों में मैदान पर करीब 40 दिन के कैरियर में 380 ओवर गेंदबाजी कर चुके हैं. 48 विकेट भी उन्हें मिले हैं और वह पहले ही साल में सबसे तेज 50 विकेट हासिल करने वाले पेसर बनने के करीब हैं.

बेशक बुमराह का इस्तेमाल ज्यादातर चार-चार स्पैल के साथ हो रहा है. लेकिन खेल के जिन हिस्सों में वह गेंद डाल रहे हैं, वह काफी अहम है. नई गेंद के साथ शुरुआत में ज्यादा दिक्कत नहीं आती. बुमराह 20, 40 और 70 ओवर पुरानी गेंद के साथ भी अपने स्पैल डाल रहे हैं. जाहिर है कि बॉल की बदलती हालत के साथ गेंदबाज को अतिरिक्त कोशिशें करनी पड़ती है. अच्छी बात है यह है कि बुमराह ने अभी तक खुद को इस सब में उन पर भरोसे के साथ न्याय किया है.

लेकिन यह बात याद रखना जरूरी है कि बुमराह ने अपने टेस्ट कैरियर का आगाज भारत और एशिया से बाहर साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में किया है जहां की पिचें ऐसे तेज-तर्रार और हर बॉल पर दिमाग का इस्तेमाल करके डालने वाले गेंदबाजों की कायल हैं.

इस पिचों पर बुमराह की मौजूदगी टीम की लॉटरी की तरह हैं. हालांकि देखना रोचक होगा कि भारत में  वह कैसा करते हैं. वह एक काबिल बॉलर हैं और उनसे भारतीय पिचों पर बेहतर करने की उम्मीद बेमानी नहीं है. लेकिन टीम और उनके चाहने वाले इस सपाट पिचों पर भी उनसे ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद करेंगे और यह नए तरह का दवाब उन पर अतिरिक्त भार डालेगा, जो उन्हें मुश्किल स्थिति में डाल सकता है.

अगले साल इंग्लैंड में विश्व कप है और वनडे और टी-20 में बुमराह की गेंदबाजी उस अभियान में उन्हें सबसे अहम बनाती है. ऐसे में बुमराह को एक्जीक्यूटिव क्लास वाली सहूलियतें देनी ही होंगी और उनका रख-रखाब भी डर्बी जिता कर देने वाले उस घोड़े से भी बेहतर होना चाहिए जिसे थकान से बचाने के लिए लगातार और हर किसी रेस में नहीं उतारा जाता.
इसे दूसरे शब्दों में भी समझा जा सकता है कि कोई भी सेनापति अपने सबसे खतरनाक हथियार का इस्तेमाल दिवाली के गन की तरह नहीं करता.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *