विपक्ष ने मोदी को दिया ‘वाक ओवर’
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से विपक्षी दलों ने भाजपा उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी खड़ा न कर लगता है एक बार फिर उनकी जीत आसान कर दी है। या यूं कहें कि एक तरह से मोदी को वाक ओवर दे दिया है। हालांकि सपा और कांग्रेस दोनों इससे इन्कार करती हैं और उनका कहना है कि मोदी के खिलाफ उनके प्रत्याशी मजबूत हैं। कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी अजय राय को मोदी के मुकाबले खड़ा किया है। एक समय कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन अजय राय की उम्मीदवारी घोषित होने के साथ इस पर विराम लग गया है। लगातार 2 चुनाव हार चुके राय को भी कांग्रेस मजबूत उम्मीदवार बता रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता उमाशंकर पाण्डेय कहते हैं, ‘‘हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। हमारे प्रत्याशी अजय राय 5 बार के विधायक हैं। वह बनारस की मिट्टी में जन्मे हैं। इस बार का चुनाव 2014 जैसा नहीं है। मोदी जी ने 5 सालों में बनारस के लिए कुछ काम नहीं किया है। जनता उन्हें नकार देगी। परिणाम चौंकाने वाले होंगे।’’ वहीं सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, ‘‘हमारी पार्टी ने वाराणसी से बहुत मजबूत प्रत्याशी उतारा है। वाक ओवर वाली बात पूरी तरह गलत है। देश को नया प्रधानमंत्री मिलने जा रहा है।’’ दोनों दल अब चाहे जो कहें लेकिन यह स्पष्ट है कि इस बार वाराणसी का चुनाव चर्चा से बाहर हो गया है।
वाराणसी के विकास की तस्वीर
2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी कई बार वाराणसी गए। उन्होंने वाराणसी को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रोजैक्ट करने का मौका भी कभी नहीं गंवाया। वह जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे (12 दिसम्बर, 2015) और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (12 मार्च, 2018) को भी वाराणसी ले कर गए। बीते 5 वर्षों में वाराणसी के लिए कई योजनाएं शुरू की गईं। बीते वर्ष प्रधानमंत्री ने ‘मेरी काशी’ नामक एक पुस्तक का विमोचन किया। इस किताब में 4 सालों के दौरान काशी में हुए विकास के बारे में लिखा गया है। किताब में बताया कि 4000 करोड़ 3 राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार और वाराणसी रिंग रोड पर, 185 करोड़ रुपए वाराणसी कन्वैंशन सैंटर पर, 800 करोड़ रुपए वाराणसी एयरपोर्ट से हाईवे पर, 600 करोड़ पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सैंटर और होमी भाभा कैंसर अस्पताल पर, नाले की सफाई पर 533 करोड़, 131 करोड़ स्वच्छ पेयजल पर खर्च की योजना है।
राजनीतिक समीकरण
उम्मीदवार जीतते आए हैं। इस बार सपा-बसपा मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन 2014 के चुनाव में यहां से उतरे उनके अलग-अलग प्रत्याशियों ने कुल मिलाकर एक लाख से कुछ अधिक ही वोट पाए थे।