विपक्ष के हंगामे और बहिष्कार के बीच विस अध्यक्ष बने प्रजापति

भोपाल

मप्र विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को लेकर विरोध कर रही थी। भाजपा कहना था कि प्रोटेम स्पीकर ने जहां स्पीकर के पद के लिए चार प्रस्तावकों के नाम घोषित किए है वहीं पांचवे का क्यों नहीं किया। इसे लोकतंत्र के विरुद्ध बताते हुए भाजपा ने हंगामा किया और प्रोटेम स्पीकर को सदन की कार्यवाही दस-दस मिनिट के लिए दो बार स्थिगित करना पड़ी। इसके बाद भी विपक्ष ने प्रोटेम स्पीकर की एक नहीं सुनी और सदन से बहिर्गमन कर दिया। अतंत: वोटिंग के माध्यम से बिना विपक्ष की उपस्थिति में एनपी प्रजापति को विधानसभा अध्यक्ष घोषित कर दिया गया।

मप्र विधानसभा की कार्यवाही शुरु होते ही दो सदस्यों ने शपथ ली। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष चुने जाने की बधाई देते हुए कहा कि राज्य के विकास और लोकतंत्र के प्रति आस्था जताते विपक्ष राज्य के हित में पूरा सहयोग करेगा। नेताप्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन की गरिमा बनाए रखने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि मप्र की विधानसभा पूरे देश में अनुकरणीय रहे इसका ख्याल हम सभी को रखना है। प्रदेश के हित में हम सब मिलकर काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से अपेक्षा है कि जो भी प्रश्‍न सदस्यों द्बारा दिए जाएं उनके सीधे और सटीक उत्तर सरकार दे तो निश्‍चित है कि सदस्य संतुष्ट रहेंगे।

संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने नर्मदा प्रसाद (एनपी) प्रजापति को स्पीकार बनाए जाने का प्रस्ताव रखा जिसका समर्थन पिछड़ा वर्ग मंत्री आरिफ अकील ने किया। इसी तरह विधायक कु.विक्रम सिंह,संजीव सिंह एवं पीसी शर्मा ने प्रस्ताव रखा जिसका क्रमश:विधायक बैजनाथ कुशवाह,राजेश शुक्ला एवं ग्यारसीलाल रावत ने एनपी प्रजापति के नाम के प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रोटेम स्पीकर ने जब पांचवे प्रस्तावक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं लिया तो इस पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह सदन की नियम प्रक्रिया के खिलाफ है। तभी प्रोटेम स्पीकर सक्सेना ने कहा कि पहले इन प्रस्तावों पर चर्चा हो जाए इसके बाद अगला प्रस्ताव लेंगे। इस पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि सभी प्रस्ताव पढ़े बिना चर्चा हो जाए। जब तक पांचवा प्रस्ताव नहीं पढ़ा जाएगा तब तक चर्चा नहीं हो सकती। नेताप्रतिपक्ष भार्गव ने फिर आपत्ति जताते हुए कहा कि हमने एक नाम विजय शाह का दिया है वो प्रस्ताव सदन में आना चाहिए। तभी विपक्षी दल भाजपा ने शोर मचाना शुरू कर दिया और नारेबाजी करते हुए आसंदी के समक्ष पहुंच गए। प्रोटेम स्पीकर निरंतर हंगामें को शांत करवाने की कोशश करते रहे।

हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि जब प्रस्ताव असफल होता तभी दूसरे पर चर्चा होती है। बढ़ते हंगामे को देखते हुए प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने दस मिनिट के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थिगित कर दी। दस मिनिट बाद एक बार फिर सदन की कार्यवाही प्रारंभ होती,इसके पहले ही भाजपा विधायक नरोत्तम मिश्रा पांइट ऑफ आर्डर के तहत व्यवस्था की मांग करने लगे। जबकि पूर्व मुख्‍यमंत्री चौहान ने कहा कि इस लोकतंत्र में आपने हमे अपनी बात रखने की अनुमति नहीं दी। आज का दिन कालादिन है। हम इसका विरोध करते हैं। फिर नारेबाजी शुरू हुई और प्रोटेम स्पीकर ने दूसरी बार 10 मिनिट के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थिगित कर दी।

      एक बार फिर सदन की कार्यवाही शुरू होती इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्रीं चौहान ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हम एक वरिष्ठ आदिवासी नेता का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित करना चाहते थे लेकिन सदन हमारी बात ही सुनने को तैयार नहीं है तो हम इस कार्यवाही का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन करते हैं। चौहान की बात सुनते हुए मंत्री सज्जन वर्मा ने बीच में टोकते हुए कहा कि कि आदिवासी नेता की इतनी चिंता थी तो नेता प्रतिपक्ष बनवा देते। इसी बीच भाजपा के सदस्य सदन से बाहर चले गए और लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे के नारे लगाते रहे।

तभी संसदीयकार्य मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने कहा कि हम पांचवे प्रस्ताव पर चर्चा कराने को तैयार हैं। लेकिन विपक्ष सुनने को तैयार नहीं है और जानबूझकर सदन की कार्यवाही नहीं चलने देना चाहते है। कई बार हमने व्यक्तिगत तौर पर विपक्ष से मुलाकात करते हुए सहमति बनाने की कोशिश की। नेताप्रतिपक्ष अपना प्रस्ताव रखें हम सहयोग के लिए तैयार हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दुख जताते हुए कहा कि यहां कई विधायक ऐसे हैं जो पहली बार चुनकर आए है। उनके बीच इस तरह का संदेश जाना ठीक नहीं है। हमें अपने अपने कर्तव्यों का लोकतंत्र के हित में निर्वहन करने की जरूरत है। मेरा विपक्ष से अनुरोध है कि सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलने दें। उन्होंने कहा कि विपक्ष को पता है कि उनका बहुमत नहीं है इसलिए वे जानबूझकर व्यावधान डालने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच प्रोटेम स्पीकर ने अपनी कार्यवाही जारी रखी। तभी बसपा के विधायक संजीव सिंह ने डिवीजन की मांग रख दी जिसे प्रोटेम स्पीकर ने स्वीकार कर ली। इस पर तत्काल प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने डिवीजन बांटने की घोषणा कर दी।

विपक्ष की गैर मौजूदगी में हुआ का चुनाव

विपक्षी दल भाजपा की गैर मौजूदगी में मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ। राज्य विधानसभा में अध्यक्ष पद के लिए हुए मतदान में कांग्रेस के एनपी प्रजापति को 120 वोट मिले जबकि विपक्ष को जीरो। मतदान के बाद प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने एनपी प्रजापति के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने की घोषणा की। प्रजापति के चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्री गोविंदसिंह ने उन्हें अध्यक्ष की आसंदी पर बैठाया। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रजापति को बधाई दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *