विधान सभा चुनाव में हार का सबक, 13 सांसदों के टिकट पर ख़तरा

भोपाल 
विधानसभा चुनाव में हुई गलती को अब बीजेपी लोकसभा चुनाव में नहीं दोहराना चाहती है…विधानसभा चुनाव में 14 मंत्रियों की हार के बाद बीजेपी कई सांसदों का टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दे सकती है.इस बार 13 ऐसे सांसद हैं, जिनके टिकट पर खतरा मंडरा रहा है.

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मंत्रियों पर भरोसा किया था.उम्मीद थी कि ये मंत्री फिर से जीत जाएंगे.लेकिन ऐसा हुआ नहीं.स्थानीय स्तर पर जनता की नाराज़गी और बिगड़ते समीकरण ने इनमें से 13 मंत्रियों को हरा दिया था और अब लोकसभा चुनाव करीब हैं.ऐसे में पार्टी की रणनीति हैं कि जो गलती विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन पर हुई वो लोकसभा चुनाव में नहीं दोहराई जाए.

पार्टी सूत्रों के अनुसार इस लोकसभा चुनाव में अधिकांश पुराने चेहरे पर दांव नहीं लगाने पर मंथन किया जा रहा है.कईयों के दोबारा टिकट मिलने पर भी खतरा मंडरा रहा है.बीजेपी के 13 ऐसे सांसद हैं, जिनकी स्थानीय स्तर पर परफॉरमेंस रिपोर्ट ठीक नहीं आ रही है.

ख़तरे में टिकट-

  1. मुरैना से अनूप मिश्रा – विधायक का चुनाव हारे, नए चेहरे की तलाश
  2. भिंड (अजा) से डॉ भागीरथ प्रसाद – मोदी लहर में जीते, इस बार जीत की संभावना कम
  3. सागर से लक्ष्मी नारायण – कांग्रेस से आए थे, जनता में नाराज़गी, उम्रदराज
  4. मंडला (अजजा) से फग्गन सिंह कुलस्ते – स्थानीय स्तर पर नाराज़गी, पार्टी में विरोध
  5. बालाघाट से बोध सिंह भगत – जनता में नाराज़गी, पार्टी में विरोध
  6. सतना से गणेश सिंह- हारते, हारते जीते थे, क्षेत्र में विरोध
  7. शहडोल से ज्ञान सिंह – स्थानीय स्तर पर टिकट बदलने की मांग, उम्रदराज
  8. राजगढ़ से रोडमल नागर – चुनाव जीतना कठिन, स्थानीय स्तर पर बगावत
  9. बैतूल (अजजा) से ज्योति धुर्वे – फर्ज़ी जाति प्रमाण का मामला
  10. खंडवा से नंदकुमार सिंह चौहान – क्षेत्र में विरोध, गुटबाज़ी
  11. धार (अजजा) से सावित्री ठाकुर – क्षेत्र विरोध, नए चेहरे की तलाश
  12. खरगौन से सुभाष पटेल – बदलने की संभावना
  13. मंदसौर से सुधीर गुप्ता – स्थानीय स्तर पर विरोध, हारने की आशंका

मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें 26 में बीजेपी और 3 कांग्रेस के पास हैं.बीजेपी जबलपुर, रीवा, भोपाल, इंदौर, दमोह और ग्वालियर सीटों पर पुराने चेहरों पर भरोसा जता सकती है.वहीं विदिशा सीट से सांसद सुषमा स्वराज के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस सीट से लड़ने की चर्चा है.इसके अलावा कांग्रेस के कब्जे वाली झाबुआ और गुना सीट पर भी नए चेहरे की तलाश की जा रही है.साथ ही बीजेपी की खजुराहो और शाजापुर सीट पर चुने गए सांसद अब विधायक बन गए हैं.इन सीटों पर भी नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है.

मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस नए जोश के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारियां में जुट गई है.विधानसभा जैसी गलती फिर न हो.इसके लिए बीजेपी में मंथन जारी है.विधानसभा की तरह ही लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पुराने चेहरों को लेकर जनता ही नहीं, बल्कि पार्टी स्तर पर नाराज़गी देखी जा रही है.ऐसे में बीजेपी के सामने प्रत्याशियों के चयन के साथ जीती हुई सीटों को बचाना सबसे बड़ी चुनौती है.

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