विदिशा का फैसला अटका, सुषमा ने संसदीय क्षेत्र के नेताओं से दिल्ली में की बैठक

भोपाल
 भाजपा के मजबूत किलों में शामिल विदिशा लोकसभा सीट के लिए पार्टी अब तक प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है| पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह का नाम यहाँ चर्चा में रहा, लेकिन बदलती रणनीति और हाईकमान के रुख के चलते अब नए नामों पर चर्चा तेज है| इस बीच संसदीय क्षेत्र के नेताओं के समन्वय से प्रत्याशी चयन की कवायद के लिए दिल्ली में सांसद सुषमा स्वराज की अगुवाई में दिल्ली में एक अहम बैठक गुरुवार को हुई। इसमें संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभा सीटों से जीते-हारे भाजपा नेताओं सहित जिलाध्यक्ष शामिल हुए।

विदिशा जिले से गंजबासौदा विधायक लीना संजय जैन और भाजपा जिलाध्यक्ष डा.राकेश जादौन, विदिशा से नपाध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में भाजपा से पराजित प्रत्याशी मुकेश टंडन के अलावा सिलवानी से भाजपा विधायक रामपालसिंह राजपूत, विधायक करण सिंह वर्मा, खातेगांव से आशीष शर्मा सहित करीब 12 जनप्रतिनिधि सुषमा के साथ हुई बैठक में शामिल हुए। जिताऊ चेहरे की तलाश में पार्टी अब तक फैसला नहीं ले पाई है, बैठक में भी हां से जीत सकने वाले प्रत्याशी का चयन समन्वय से करने की कोशिश हुई। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने करीबी और अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष रमाकांत भार्गव का नाम आगे बढ़ाया है, तो वहीं दूसरी तरफ सुषमा स्वराज किसी भी नाम पर खुलकर समर्थन देने से बचती नजर आई हैं। इस तरह अभी तक कोई एक नाम तय नहीं हुआ है, हालांकि, यह बात तय मानी जा रही है कि केंद्रीय नेतृत्व इस सीट पर सुषमा और शिवराज दोनों की पसंद से ही उम्मीदवार देने का मन बना चुका है।

साधना के लिए लॉबिंग

उल्लेखनीय है कि विदिशा संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाने की मांग उठी चुकी है। साधना को टिकट देने की मांग को लेकर विदिशा संसदीय क्षेत्र के विधायक एवं पार्टी पदाधिकारी प्रदेश नेतृत्व से भी मिल चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि सुषमा भी साधना को प्रत्याशी बनाने के पक्ष में हैं। लेकिन इससे पहले उनका विरोध भी हो चुका है और परिवारवाद की गाइडलाइन के चलते उनका नाम पीछे हो गया था| स्थानीय नेताओं ने अपनी अपनी राय सुषमा के सामने रखी है, प्रत्याशी के नाम पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ज्यादातर नेताओं ने साधना सिंह को टिकट देने की मांग की है। जबकि शिवराज खेमे के ही कुछ नेताओं ने रमाकांत भार्गव के टिकट की पैरवी भी की है। जबकि सुषमा स्वराज ने किसी भी दावेदार का पक्ष नहीं लिया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि सुषमा स्वराज भी दबी जुवान में साधना सिंह को टिकट दिलाने के पक्ष में है। विदिशा संसदीय क्षेत्र के नेताओं को दिल्ली बुलाने के पीछे की भी यही रणनीति बताई जा रही है।

रमाकांत भार्गव शिवराज के पसंद, राजेंद्र राजपूत भी दौड़ में

इस सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे शिवराज सिंह की पसंद रमाकांत भार्गव के रूप में बीते सप्ताह से सामने आई है। उनके पहले पूर्व बुदनी विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, गुरुप्रसाद शर्मा, पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री रामपाल सिंह राजपूत का नाम भी सामने आ चुका है, लेकिन रमाकांत के नाम पर शिवराज का सॉफ्ट कार्नर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दिखाई दिया है। वर्ष 2005 में जब शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब उनके लिए बुदनी विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत ने अपनी सीट छोड़ी थी। इस त्याग के बदले राजेंद्र लगातार टिकट की मांग करते रहे हैं, लेकिन बुधनी से हर बार शिवराज लड़ते हैं और विदिशा से सुषमा चुनाव लड़ी, इस बार भी जब साधना का नाम सामने आया तो वे पीछे हट गए, लेकिन वर्तमान स्तिथि को देखते हुए एक बार फिर उनकी इच्छा जागी है|

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