विजय माल्या को भारत लाने की उम्मीद बढ़ी, UK होम सेक्रटरी ने प्रत्यर्पण आदेश पर किए हस्ताक्षर

नई दिल्ली 
बैंकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी कर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत लाने की उम्मीद बढ़ गई है। UK सरकार की तरफ से माल्या को तगड़ा झटका लगा है। पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश होम सेक्रटरी साजिद जाविद ने सोमवार को माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। इसे भारत की कूटनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। होम ऑफिस की ओर से बताया गया है कि विजय माल्या अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ 14 दिनों के भीतर अपील कर सकते हैं। 

भारत ने फैसले का किया स्वागत 
भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूके सरकार के फैसले का स्वागत किया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हमें माल्या के भारत प्रत्यर्पण के आदेश पर यूके होम सेक्रटरी द्वारा हस्ताक्षर करने की जानकारी मिली है। हम यूके सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं। इसके साथ ही हम उनके प्रत्यर्पण के लिए कानूनी प्रक्रिया के जल्द पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।' प्रत्यर्पण आदेश पर होम सेक्रटरी के हस्ताक्षर के बाद विजय माल्या ने कहा है, '20 दिसंबर 2018 को वेस्टमिन्सटर मैजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद मैंने अपील करने की इच्छ जताई थी। मैं बिना होम सेक्रटरी के आदेश के अपील की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पा रहा था, अब मैं अपील की प्रक्रिया शुरू करूंगा।' 

अपील मंजूर तो क्या होगा? 
माल्या के पास अब ब्रिटेन की हाई कोर्ट में अपील की अनुमति के लिए अर्जी देने की खातिर 4 फरवरी से अगले 14 दिनों का वक्त है। यदि अपील को मंजूरी दे दी जाती है तो माल्या के केस पर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। दरअसल, प्रत्यर्पण संधि की प्रक्रियाओं के तहत चीफ मैजिस्ट्रेट का फैसला होम सेक्रटरी के पास भेजा गया था क्योंकि माल्या के प्रत्यर्पण आदेश को जारी करने का अधिकार उनके पास ही है। 

कोर्ट के फैसले के बाद होम सेक्रटरी की मुहर 
होम सेक्रटरी का आदेश कभी-कभार ही अदालत के फैसले के विपरीत जाता है क्योंकि उन्हें प्रत्यर्पण के कुछ सीमित पहलुओं पर ही विचार करना होता है और इस मामले में ऐसा होने की संभावना नहीं थी। इनमें एक पहलू यह भी होता है कि किसी मामले में मृत्यु दंड दिए जाने की कितनी आशंका है। यूके होम ऑफिस के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा, '3 फरवरी को सेक्रटरी ऑफ स्टेट ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए।' इस बीच, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, 'मोदी सरकार ने माल्या को प्रत्यर्पित करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाया है जबकि सारदा घोटालेबाजों के इर्द-गिर्द विपक्ष का जमावड़ा है।' 

दिसंबर में कोर्ट में लगा था झटका 
आपको बता दें कि किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमुख रहे माल्या पर 9,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। इससे पहले दिसंबर में माल्या (63) ब्रिटेन की एक अदालत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी केस हार गए थे। तब कोर्ट ने उन्हें भारत के हवाले करने की अनुमति दे दी थी। ब्रिटेन की अदालत ने कहा था कि वह भारत सरकार की ओर से दिए गए विभिन्न आश्वासनों से संतुष्ट है, जिसमें जेल की एक सेल का विडियो भी शामिल था। ब्रिटेन में रह रहे शराब कारोबारी पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से जमानत पर हैं। ऐसा लगता है कि माल्या को अपने खिलाफ ऐक्शन का कुछ दिन पहले ही आभास हो गया था। शायद इसी वजह से माल्या के सुर बदले थे। हाल में माल्या ने अपनी दलील में ट्वीट कर दावा किया था कि उनकी कंपनी की 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। माल्या ने यह भी कहा था कि उन्हें कर्ज देने वाले बैंक ने इंग्लैंड में अपने वकीलों को उनके खिलाफ छोटे-मोटे मामले दर्ज करने की खुली छूट दी हुई है। 

माल्या का अपना तर्क 
माल्या अपने खिलाफ मामले को राजनीति से प्रेरित बताते रहे हैं। माल्या ने कहा था, ‘मैंने एक भी पैसे का कर्ज नहीं लिया। कर्ज किंगफिशर एयरलाइंस ने लिया। कारोबारी विफलता की वजह से यह पैसा डूबा है। गारंटी देने का मतलब यह नहीं है कि मुझे धोखेबाज बताया जाए।’ 

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