वायनाड लोकसभा सीट: राहुल गांधी के आने से एलडीएफ के लिए दोतरफा चुनौती बढ़ी
नई दिल्ली
राहुल गांधी के वायनाड सीट से चुनाव लड़ने से केरल का लोकसभा चुनाव बेहद रोचक हो गया है। कांग्रेस नीत यूडीएफ जहां इस बार ज्यादा सीटें जीतने में जुटा है, वहीं माकपा नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए दोतरफा चुनौती पैदा हो गई है। एक तरफ हिंदू वोटों में बीजेपी के सेंध लगाने का डर है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी के आने से राज्य में कांग्रेस की सक्रियता बढ़ी है जिसका फायदा यूडीएफ को मिल सकता है।
केरल में पिछले लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो कांग्रेस के पास सबसे बड़ा वोट बैंक है। कांग्रेस को तब 31 फीसदी वोट मिले थे और यूडीएफ ने कुल 12 सीटें जीती थी। हालांकि 2009 के लोकसभा चुनावों की तुलना में उसकी चार सीटें कम हुई थी। जबकि एलडीएफ ने आठ सीटें जीती थी और उसने चार सीटें ज्यादा हासिल की। तब माकपा को करीब 22 और भाकपा को आठ फीसदी वोट मिले थे। यूडीएफ और एलडीएफ में कई छोटे दल हैं जिनका अलग-अलग सीटों पर प्रभाव है और दो-चार फीसदी के बीच मत प्रतिशत है।
बीजेपी ने करीब 10 फीसदी मत हासिल किए थे लेकिन वह कोई सीट नहीं जीत पाई। लेकिन 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी का मत प्रतिशत बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंचा है। एलडीएफ से जुड़े रणनीतिकार मानते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सक्रियता से एक बड़ा फायदा यह होगा कि कांग्रेस बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाएगी। क्योंकि देश भर में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से है। इसलिए यह स्थिति उनके लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन माकपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश करात ने जिस प्रकार से राहुल गांधी को हराने की बात कही है, उससे लगता है कि वे बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस की सक्रियता से भी चिंतित हैं।
बीजेपी की हिंदू आबादी में पहुंच बढ़ी है
सबरीमला प्रकरण में भाजपा द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध खड़े होने से बीजेपी ने हिंदू आबादी में अपनी पहुंच बढ़ाई है। केरल में ज्यादातर हिंदू मतों पर माकपा ही काबिज रहती है। माना जा रहा है कि चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत और बढ़ेगा।
दक्षिध में पैठ मजबूत करना चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस दक्षिणी राज्यों में अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। 2009 में जब केंद्र में कांग्रेस 206 सीटें जीती थी तो करीब 60 सीटें अकेले चार दक्षिणी राज्यों से मिली थी। जिसमें केरल की सीटें भी अहम थी। पिछली बार देश भर में खराब प्रदर्शन के बावजूद केरल में कांग्रेस ने अकेले आठ और यूडीएफ ने 12 सीटें जीतीं।