वाघा बॉर्डर पहुंचा भारतीय डेलिगेशन, करतारपुर कॉरिडोर पर PAK से चर्चा शुरू
नई दिल्ली
भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर करतारपुर कॉरिडोर को लेकर आज अहम बैठक हो रही है. इसमें कॉरिडोर पर जारी गतिरोध दूर करने की रणनीति बनेगी. चर्चा में शिरकत करने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाघा बॉर्डर पहुंच चुका है और दोनों देशों के अफसरों के बीच द्विपक्षीय वार्ता शुरू हो चुकी है.
बहरहाल, खालिस्तान समर्थकों की बैठक में मौजूदगी को लेकर भी चर्चा होनी तय मानी जा रही है. क्योंकि पाकिस्तान ने बैठक से ठीक पहले जो चाल चली है. वो सबके सामने आ गया है.
करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान के साथ आज दूसरे दौर की बातचीत, वाघा बॉर्डर पर सुबह 9.30 बजे होगी. दोनों देशों के बीच करतारपुर तीर्थ यात्रा की रूपरेखा पर होगी चर्चा, शुल्क, हाईटेक सर्विलांस और अन्य मुद्दों पर भी बातचीत होगी.
करतारपुर कॉरिडोर खोले जाने की तारीख तय है. इसे 22 नवंबर को होने वाली गुरु नानक की 550वीं जयंती से पहले शुरू होना है. लेकिन तैयारियां अभी भी बाकी हैं. हिन्दुस्तान ने अपने हिस्से के काम को तेजी से निपटाया है, लेकिन पाकिस्तान की बदनीयती कहिए कि वो लगातार पेच फंसा रहा है और ननकाना साहिब में पवित्र दर्शन की राह में रोड़े अटका रहा है.
Amritsar: Indian delegation arrives at Attari border, to hold bilateral meeting with their Pakistani counterparts on #KartarpurCorridor at Wagah (Pakistan). pic.twitter.com/RsQk8Toto0
— ANI (@ANI) July 14, 2019
उन्हीं बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों देशों में आज फिर वाघा बॉर्डर पर बैठक हो रही है. लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान टालमटोल का रवैया अपनाता रहा है, वो समाधान की ओर जाता नहीं दिख रहा.
बैठक से ठीक पहले पाकिस्तान ने खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावला को वहां के सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से हटा दिया. ये कूटनीतिक दबाव का बड़ा असर है. पहले दौर की बातचीत में भारत ने इसे लेकर चिंता जाहिर की थी. गोपाल सिंह चावला करतारपुर कॉरिडोर की वार्ता कमेटी का भी सदस्य था.
चावला के अलावा खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देने वाले मनिंदर सिंह, तारा सिंह, बिशन सिंह और कुलजीत सिंह जैसे नाम थे. लेकिन बैठक से ठीक पहले जब पाकिस्तान ने सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की नई लिस्ट जारी की तो उसमें भी खालिस्तानी समर्थकों को तवज्जो दी गई. खालिस्तान समर्थक बिशन सिंह के बदले उसके भाई अमीर सिंह को कमेटी में डाल दिया गया है और वो भी खालिस्तान समर्थक बताया जा रहा है.
खालिस्तानी समर्थकों की मौजूदगी के अलावा भारत की कई चिंताएं हैं. पहले दौर की बातचीत के दरम्यान भारत ने पुरजोर तरीके से तमाम मुद्दों को उठाया था. भारत की मांग रही है कि करतारपुर में एक दिन में 5000 श्रद्धालुओं को दर्शन का मौका मिले. लेकिन पाकिस्तान महज 700 श्रद्धालुओं के दर्शन पर ही अड़ा है. भारत की मांग है कि करतापुर कॉरिडोर साल भर खुले.
पाकिस्तान इसके लिए भी राजी नहीं है. हिन्दुस्तान चाहता है कि श्रद्धालुओं का कोई वीजा या शुल्क ना लगे, पड़ोसी मुल्क इससे भी सहमत नहीं. भारत चाहता है कि प्रवासी भारतीयों को भी मौका मिले, लेकिन पाकिस्तान सिर्फ भारतीय श्रद्धालुओं की जिद पर अड़ा है.
हिन्दुस्तान की ऐसी कई चिंताएं हैं जिसे पाकिस्तान अब तक अनसुना करता रहा है. लेकिन लाहौर पहुंची आजतक की टीम ने वहां लोगों से बात की तो उन्होंने करतारपुर कॉरिडोर को लेकर दोनों देशों के संबंध सुधरने का भरोसा जताया. पड़ोसी मुल्कों की आवाम चाहती है अमन कायम हो और करतारपुर कॉरिडोर के बहाने दोनों देशों में रिश्ते की कड़वाहट खत्म हो. लेकिन पाकिस्तान का रवैया सुस्ती भरा है.