चेलमेश्वर ने जिस जज की आलोचना की थी, वह जल्द आ सकते हैं सुप्रीम कोर्ट में

नई दिल्ली
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाले सुप्रीम कोर्ट कलीजियम ने कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को शीर्ष न्यायालय के जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की है। कलीजियम में जस्टिस ए. के. सीकरी, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस एन. वी. रामन्ना और जस्टिस अरुण मिश्र भी शामिल हैं।

 

खास बात यह है कि मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन वरिष्ठतम जज चेलमेश्वर ने जस्टिस माहेश्वरी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। दरअसल, जस्टिस माहेश्वरी ने सेक्शुअल हैरसमेंट से जुड़ी एक लंबित शिकायत पर एक डिस्ट्रिक्ट जज से स्पष्टीकरण मांगा था। वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट ने उस डिस्ट्रिक्ट जज को क्लीन चीट दे दी थी। उसके बाद, जस्टिस चेलमेश्वर ने तत्कालीन सीजेआई को लिखा था, 'हमारी पीठ के पीछे कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जरूरत से ज्यादा सक्रियता दिखाते लग रहे हैं।'

जस्टिस चेलमेश्वर ने आगे लिखा था, 'उस वक्त हम (सुप्रीम कोर्ट कलीजियम) आरोपों से वाकिफ थे लेकिन हमने उन्हें गलत पाया। दूसरी तरफ सरकार ने जानबूझकर उनके प्रमोशन की सिफारिश को रोक दिया और बाकी 5 का मंजूर कर लिया था, जबकि वे सभी 5 भट से जूनियर हैं।' हालांकि, मौजूदा कलीजियम जस्टिस चेलमेश्वर द्वारा जस्टिस माहेश्वरी के खिलाफ की गईं टिप्पणियों पर ध्यान देता नहीं दिख रहा है।

जस्टिस माहेश्वरी के अलावा कलीजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को भी सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है। जस्टिस खन्ना जस्टिस डी. आर. खन्ना के बेटे हैं, जो जस्टिस एच. आर. खन्ना के छोटे भाई हैं। जस्टिस एच. आर. खन्ना वहीं हैं जिन्होंने इमर्जेंसी के दौरान सरकार के दबाव के आगे डटकर खड़े रहे। वह सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच के इकलौते ऐसे जज थे जिन्होंने कहा कि इमर्जेंसी के दौरान भी जीने और स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित नहीं किया जा सकता है। उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी और इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें सीजेआई नहीं बनने दिया।

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