वर्ल्ड कप से पहले क्या टीम इंडिया के सीक्रेट हो रहे हैं लीक?

 मुंबई 
भारतीय टीम मैनेजमेंट इन दिनों इंग्लैंड में आयोजित होने वाले वर्ल्ड कप 2019 की तैयारी कर रहा है लेकिन टीम मैनेजमेंट भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के हितों के टकराव वाली नीति से बहुत खुश नहीं है। बोर्ड की इस नीति के चलते आईपीएल में कोचिंग और इससे जुड़ी दूसरी जॉब्स के लिए विदेशी स्टाफ को हायर किया जा रहा है।  बोर्ड की इस नीति से संतुष्ट न होने के कई कारण हैं। जरा सोचिए- भारत के ओपनिंग बल्लेबाज शिखर धवन आईपीएल में इन दिनों दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेल रहे हैं। अब दिल्ली कैपिटल्स की कोचिंग कौन करता है। वह हैं पूर्व दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी रिकी पॉन्टिंग। पॉन्टिंग इस वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलियाई टीम के सहायक कोचिंग करेंगे। इतना ही नहीं दिल्ली कैपिटल्स की टीम में पॉन्टिंग के साथ जो शख्स एनालिस्ट की भूमिका निभा रहे हैं वह श्री लंका के श्रीराम सोमायाजुला हैं, जो श्री लंकाई नैशनल टीम में भी एनालिस्ट की भूमिका निभाते हैं। 

जरा सोचिए ये दोनों भारतीय खिलाड़ियों की हर बारीक से बारीक बात को कितनी गहराई से समझते होंगे। जैसे बतौर क्रिकेटर शिखर धवन के लिए क्या चीज सबसे बेहतर है और किस तरह वह पिच पर परेशान हो सकते हैं… यह भारतीय क्रिकेट के लिए साफतौर पर स्वस्थ नहीं है। सिर्फ शिखर ही नहीं ऋषभ पंत, पृथ्वी साव, श्रेयस अय्यर- उनके पास इन सभी खिलाड़ियों का विस्तृत एनालिटिक डेटा उपलब्ध है। 

ऐसा ही एक और उदाहरण चेन्नै के प्रसन्ना अगोराम का है, जो क्रिकेट साउथ अफ्रीका में एनालिस्ट के तौर पर जुड़े हैं। वह इन दिनों किंग्स XI पंजाब के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम में प्रसन्ना का प्रदर्शन शानदार है। जब पिछले साल हमारी टीम साउथ अफ्रीकी दौरे पर थी, तो हमें उनके बारे में पता चला था। प्रसन्ना को अब भारतीय माहौल में 2 महीने गुजारने का समय मिला है। 

शायद ही इसे कोई सही माने कि वर्ल्ड कप जैसे अहम टूर्नमेंट से पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम के सहायक कोच (रिकी पॉन्टिंग) भारतीय टीम के ओपनिंग बल्लेबाज के साथ समय बिता रहे हैं। वह क्रिकेट की उनकी बारीकियों को परख रहे हैं। भले ही आईपीएल एक खुला बाजार है लेकिन यहां कुछ लकीरें खींची ही जानी चाहिए। या फिर बीसीसीआई को ऐसे नियम जरूर बनाने चाहिए कि जब आईपीएल सीजन के दौरान भारत के जिन खिलाड़ियों और कोचों को इस लीग में जगह नहीं मिलती उन्हें दुनिया भर में आयोजित होने वाली दूसरी लीग में खेलने या कोचिंग की अनुमति मिलनी चाहिए। 
बीसीसीआई की अपनी नीतियां तो हैं, लेकिन इन नीतियों को कौन बनाता है शायद इससे किसी को कोई खास मतलब नहीं है। चाहे बोर्ड की पुरानी नीतियों की बात करें या फिर सुप्रीम कोर्ट हो या वर्तमान प्रशासनिक समिति (CoA)। कई लोगों को इस बात से हैरानी नहीं हुई होगी कि जब दिल्ली कैपिटल्स के मेंटॉर सौरभ गांगुली ने जिन पर हितों के टकराव को लेकर पूछताछ हो रही है, उन्होंने रिकी पॉन्टिंग को टीम इंडिया की कोचिंग के लिए योग्य उम्मीदवार बताया। 

निश्चित रूप से इसमें किसी को कोई हितों का टकराव नहीं दिखता, है न? टकराव तो तब होता है, जब राहुल द्रविड़ भारत A और अंडर-1 9 टीम का कोच होते हुए खुद को किसी फ्रैंचाइजी के साथ जोड़ लें। ये भारतीय क्रिकेट प्रशासन की कैसी अजीबो-गरीब नीतियां हैं। शिकायत सिर्फ इस बात की है कि अगर द्रविड़, तेंडुलकर, गांगुली और लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी खुद को आईपीएल की किसी फ्रैंचाइजी के साथ नहीं जोड़ते हैं, तो नुकसान किस का है? 

प्रवीण आमरे का ही उदाहरण ले लीजिए, वह बेहतरीन बैटिंग कोचों में से एक हैं। लेकिन सिर्फ इसलिए कि वह आईपीएल की एक टीम के लिए कोचिंग करना चाहते थे तो वह अब किसी भी राज्य टीम और एनसीए के साथ मिलकर काम नहीं कर सकते। लेकिन टॉम मूडी सनराइजर्स के साथ भी कोचिंग कर सकते हैं और कैरिबियन प्रीमियर लीग में भी। बोर्ड की इन नीतियों पर शिकायत सिर्फ एक ही बात से है कि बीसीसीआई क्यों नहीं यूनिफॉर्म पॉलिसी बनाता? अगर संजय बांगड़- जो भारतीय टीम के सहायक कोच रहते हुए आईपीएल के साथ काम नहीं कर सकते तो फिर किसी विदेशी कोच को भी इन हालात में कोचिंग नहीं करनी चाहिए। 
 

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