वचन पत्र पूरा करने की तैयारी में ACS मनोज श्रीवास्तव जुटे काम में

भोपाल
प्रदेश की चार पवित्र नदियों नर्मदा, ताप्ती, क्षिप्रा व मंदाकिनी के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने काम शुरू कर दिया है। वचन पत्र पर अमल के लिए बनाए गए अध्यात्म विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना बनाने की प्रक्रिया शुरू की है और फरवरी तक इसे अंतिम रूप देने की तैयारी में विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने तैयारी शुरू कर दी है। अध्यात्म विभाग नर्मदा नदी के लिए अधिनियम और ताप्ती, मंदाकिनी व क्षिप्रा नदी के लिए ट्रस्ट बनाएगा जिसके आधार पर इन पवित्र नदियों के संरक्षण के काम को अमलीजामा पहनाया जा सके।

कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में पवित्र नदियों को जीवित इकाई का दर्जा देने के लिए कहा था। इसके लिए अब कमलनाथ सरकार ने अध्यात्म विभाग के गठन के बाद लोकसभा चुनाव के पहले इसे प्रभावी करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें नर्मदा समेत अन्य नदियों में जल संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और रेत खनन को लेकर नियम बनाने का काम हो रहा है। राज्य सरकार इन चारों नदियों के लिए राज्य और जिला स्तर पर क्रियान्वयन व मानीटरिंग कमेटी का गठन करेगा जो नियमों की अनदेखी करने पर एक्शन ले सकेंगे। 

नदी को जीवित मां का दर्जा देने के लिए देश के प्रांतों में नियम नहीं मिल पा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए एसीएस श्रीवास्तव नदियों के संरक्षण के लिए देश और विदेश में बनाए गए नियमों का अध्ययन कर रहे हैं। इनके आधार पर मध्यप्रदेश की मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखकर नियम बनाए जाएंगे। इसके बाद इसके लिए अधिनियम का प्रारूप कैबिनेट और फिर विधानसभा में लाया जाएगा। 

तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने 23 मई 2017 को नर्मदा नदी की जीवित इकाई मानते हुए मां का दर्जा देने की घोषणा की थी। अफसरों के मुताबिक पूर्व सीएम शिवराज ने इसके बाद सरकार ने रेत नीति तो बनवाई पर इसके लिए कोई नियम और अधिनियम नहीं बनवाए। इसलिए नर्मदा को मां का दर्जा दिए जाने के बाद रेत निकासी होने पर मां की छाती छलनी करने वालों पर सख्ती से एक्शन नहीं हो पाया। 

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