लोक सभा चुनाव 2019 : छत्तीसगढ़ की 10 में से आठ लोकसभा सीटों पर भाजपा बदल सकती है उम्मीदवार

रायपुर
 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में मिली करारी पराजय के बाद भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में नई रणनीति पर काम कर रही है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जिस तरह 90 सीटों में से 68 पर अपना कब्जा जमाया है, उसे देखते हुए इस बात की प्रबल संभावना है कि भाजपा लोकसभा चुनाव में 10 सीटों में से 8 पर नए उम्मीदवार उतार सकती है। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटों पर कब्जा जमाया था।

सूत्रों की माने तो भाजपा संगठन प्रदेश से एकमात्र मंत्री विष्णु देव साय को संगठन में लाकर उनकी जगह नया उम्मीदवार खड़ा करने पर विचार कर रहा है। वहीं पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह को राजनांदगांव से उनके बेटे अभिषेक सिंह की जगह चुनाव लड़ाने की भी बात है। पार्टी में फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन नामों पर विचार किया जा रहा है उसमे केन्द्रीय इस्पात मंत्री विष्णु देव साय का नाम सबसे आगे है। बताया जाता है कि अगर रायगढ़ से सांसद विष्णु देव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो पार्टी रायगढ़ से जिला पंचायत जशपुर की अध्यक्ष गोमती साय या जशपुर राजघराने के देवेंद्र प्रताप सिंह को टिकट दे सकती है।

नाम न छापने की शर्त पर पार्टी के एक वर्तमान सांसद कहते हैं कि इस बात में आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए कि अभिषेक सिंह अपने पिता डॉ. रमन सिंह के लिए राजनांदगांव सीट छोड़ दें और डॉ. सिंह राजनांदगाव से लोकसभा चुनाव लड़ें। बता दें कि केन्द्रीय नेतृत्व ने डॉ. रमन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है। रमन सिंह के लोकसभा लडऩे की संभावना इसलिए भी ज्यादा नजर आ रही है क्योंकि विधानसभा में विपक्ष का नेता धरमलाल कौशिक को बनाया गया है।

रमेश बैस ने कहा नहीं मांगूंगा टिकट, शर्त में उलझे महतो
कांग्रेस की बम्पर जीत के बाद छत्तीसगढ़ में इस बात की प्रबल संभावना है कि सांसदों के टिकट पर जमकर कैंची चलाई जाए। हालात यह है कि रायपुर सांसद रमेश बैस ने अभी से कहना शुरू कर दिया है कि मैं दावेदारी नहीं करूंगा। रायपुर से सांसद रमेश बैस ने पत्रिका से कहा है कि हमने न टिकट पहले मांगा था न अब मांग रहे हैं। रायपुर से 6 बार सांसद रहे रमेश बैस ने कहा है कि अगर मुझे टिकट नहीं मिला तो मैं संगठन का काम करना पसंद करूंगा। कोरबा में बंशीलाल महतो की दावेदारी पर भी खतरा बताया जा रहा है। पार्टी सूत्रों की माने तो विधानसभा चुनाव में बंशीलाल महतो के पुत्र को टिकट इसी शर्त पर दिया गया था कि वो लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मांगेंगे। कांकेर सांसद विक्रम उसेंडी विधानसभा चुनाव में अंतागढ़ सीट से उतारे गए थे और कांग्रेस के अनूप नाग से पराजित हुए हैं। ऐसे में यह बात लगभग तय है कि भाजपा विक्रम को लोकसभा में उतारने का जोखिम नहीं लेगी। सरगुजा से सांसद कमलभान सिंह से पार्टी नेतृत्व की नाराजगी की ख़बरें मिल रही हैं,लेकिन कमलभान की जगह पार्टी को फिलहाल सरगुजा से कोई बेहतर उम्मीदवार नहीं दिखाई दे रहा है।

बिलासपुर, बस्तर और जांजगीर-चांपा के सांसदों के टिकट पर भी संशय
छत्तीसगढ़ में बिलासपुर सांसद लखनलाल साहू, बस्तर सांसद दिनेश कश्यप और जांजगीर चाम्पा से सांसद कमला देवी पाटले को भी टिकट मिलने पर संशय है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन विचार कर रहा है कि जिन संसदीय सीटों से संबंधित विधानसभा सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है वहां उम्मीदवार बदल दिए जाएं। फिलहाल जो तस्वीर सामने आ रही है उसमें रायगढ़ और राजनांदगांव दो सीटें ही ऐसी हैं जिन पर पूर्व के उम्मीदवारों को दोबारा चुनाव लड़ाया जा सकता है।

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