लोकसभा चुनाव से पहले संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण मुश्किल!

भोपाल
 मध्य प्रदेश में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह सभी कर्मचारियों के नियमितीकरण पर काम करेगी। सरकार ने एक महीना पूरा कर लिया है लोकसभा चुनाव से पहले कई फैसलों पर सरकार निर्णय ले चुकी है। अब संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण पर भी बजट सत्र में चर्चा होना है। हालांकि, लोकसभा चुनाव से पहले संदविदा कर्मियों का नियमितीकरण होना संभव नहीं है। 

समान्य प्रसाशन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ से इस बारे में तीन बार चर्चा की जा चुकी है। अब ये मामला बजट सत्र में भी रखा जाएगा। इस पर चर्चा के बाद ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने ये भी कहा कि हाल ही में होने वाली बजट सत्र में इस मामले को रखा जाना था लेकिन हो सकता है लोकसभा चुनाव के बाद इस मसले पर चर्चा की जाए। कांग्रेस अध्यक्ष और अब मुख्यमंत्री कमलनाथ और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित कांग्रेस के नेताओं ने संविदा कर्मचारियों से वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें नियमित कर दिया जाएगा। अब संविदा कर्मचारी संघ अपनी मांगों के लिए मंत्रियों से मिल रहे हैं और इस उम्मीद के साथ कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले उनके पक्ष में आदेश देगी।

संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने वादा किया है कि जिन कर्मचारियों को फर्जी और झूठे आरोप के आधार पर हटा दिया गया था, उन्हें बिना किसी सवाल के वापस ले लिया जाएगा और साथ ही जिन कर्मचारियों के मुकदमे कोर्ट में लंबित हैं, उनसे केस वापस लेने के लिए कहा जाएगा। और सेवाओं में वापस लिया जाएगा। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में ढाई लाख संविदाकर्मचारी काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार इन पर किसी भी तरह का ध्यान नहीं दे रही जैसा की उसने अपने वचन पत्र में किया था। पूर्व सरकार के समय लंबी हड़ताल के बाद भी संविदा कर्मचारी नियमित नहीं हो पाए थे। मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के साथ संविदा कर्मचारी फिर सक्रिय हैं। कांग्रेस के वचन-पत्र में संविदाकर्मियों को नियमित करने का उल्लेख हैं। इसे लेकर संविदाकर्मी फिर आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं| 

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